बजट – विकास कुमार

बजट *व्यंग*

एक नन्हा मुन्ना बच्चा
यही कोई 8-10 साल का
फटा हुआ लिबास या यूं कहो
पहनने के नाम पर बस चिथड़ा
खींचता जा रहा है एक गाड़ी,
बिना इंजन की, सही समझे-छकड़ा
भारी बहुत था शायद छकड़ा ,
हाँ उसके खुद के बजन से भी ज्यादा
सोचता हूँ- सरकारें अमीर बच्चों के
बस्ते के बढ़ते बोझ से चिंतित हैं और यहाँ……
शायद ये बच्चे हैं ही नहीं इस देश के या हमारे |
सरकारों के बजट देखकर तो यही लगता है |
अरे किन बातों में उलझ गए हूँ मैं,
मुझे सियाशत नहीं करनी|
जल्दी पहुचना है, कूड़े के ढेर पर इस गहमा गहमी  में
उसके सामने आ गई एक गाड़ी ,
स्कार्पियो वाले बाबूजी उर्फ आज के नेता जी की ,
बाबूजी गुस्से में तमतमाते हुए उतरे ।
और बच्चे का सिर जो बाबूजी के हाथ की उगलियों मे
बिलकुल  फिट बैठता था ,
दो -चार बार गाड़ी के बोनट में गेंद की तरह दे मारा ।
और उसके खून से अपनी गाड़ी का
अभिषेक कर तमतमाते हुए चले गए ।
बजट भाषण सुनने की जल्दी मे  थे आज बाबूजी शायद,
अहो भाग्य – आज  संसद चले गए
उस छकड़े वाले बच्चे के खून के छीटे,
पर यहाँ तो जैसे कुछ हुआ ही नहीं |
वह  बच्चा  इमतीनां से गाड़ी में पड़े
रात के बासी कूड़े से सूखे खून से सनी रूई निकालता है
अपना खून पोंछता है और
चल पड़ता है कर्तव्य पथ पर अडिग।
जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
सही कहा ऐसे खून को उसने कई बार पोछा है।
जब कूड़े के ढेर में किस्मत टटोलते हुए
अमीरों की सूईं और ब्लेडों ने
उसके शरीर को लहूलुहान किया है।
यह बच्चा पर अपना खून नहीं देखता,
उसे तो उसी कूड़े में अपनी किस्मत जो ढूढ़नी है।
और जब मिल गई है किस्मत तो
सारा दर्द भूलकर गया है टटोलने फिर से कुछ।
क्योकि उसको पता है उसका संविधान,
आरक्षण, बजट ,बुलेट ट्रेन, न्यायालय, लालकिला,
उसका भारत सभी तो उसी कूड़े में दफन है।
पर उसे कोई गुरेज नहीं , गुरेज हो भी क्यूँ,
यहाँ आज के बजट मे उसके लिए कुछ है भी तो नहीं ,
पर जो है वह भी तो इन्हीं गाड़ी वाले  बाबूजी की देन है क्या –
यह कूड़ा- जिसमें  दबी है उसकी
और उसके भारत की किस्मत।
यही है मेरा भारत , मेरा आरक्षण, मेरा बजट ,
मेरा गणतन्त्र और  गणतन्त्र पर झाकियों में
शामिल बच्चों की हकीकत , मेरा कल और मेरा आज
और ये कूड़ा जिसको कल भी मेरे नेता पैदा करते रहेंगे
और मैं टटोलूंगा कल भी इस कूड़े में अपनी किस्मत को।
l6gr8qXE.jpg_large
कवि – विकास कुमार

यह कविता हमारे कवि मंडली के नवकवि विकास कुमार जी की है । वह वित्त मंत्रालय नार्थ ब्लाक दिल्ली में सहायक अनुभाग अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं । उनकी दैनिंदिनी में कभी कभी  उन्हें लिखने का भी समय मिल जाता है । वैसे तो उनका लेखन किसी वस्तु विशेष के बारे में नहीं रहता मगर न चाहते हुए भी आप उनके लेखन में उनके स्वयं के जीवन अनुभव को महसूस कर सकते हैं । हम आशा करते हैं की आपको उनकी ये कविता पसंद आएगी ।

विकास कुमार द्वारा लिखी अन्य रचनाएँ

हिंदी ई-बुक्स (Hindi eBooks)static_728x90

 

Advertisement

14 thoughts on “बजट – विकास कुमार

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s