तुम मत भूलना उनको,
वतन पर फक्र था ,
जिनको मिलाकर धूल में उनको,
लगाकर माटी का चंदन,
मिला गए माटी में दुश्मन,
तुम मत भूलना उनको वतन पर फक्र था जिनको।
फैसला करते नहीं क्यूँ आज तुम,
देश को जाति से चुनते नहीं क्यों आज तुम,
मुल्क को दंगों से बर्बाद जो करते हो,

यह कविता हमारे कवि मंडली के नवकवि विकास कुमार जी की है । वह वित्त मंत्रालय नार्थ ब्लाक दिल्ली में सहायक अनुभाग अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं । उनकी दैनिंदिनी में कभी कभी उन्हें लिखने का भी समय मिल जाता है । वैसे तो उनका लेखन किसी वस्तु विशेष के बारे में नहीं रहता मगर न चाहते हुए भी आप उनके लेखन में उनके स्वयं के जीवन अनुभव को महसूस कर सकते हैं । हम आशा करते हैं की आपको उनकी ये कविता पसंद आएगी ।
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