आज नयन के बँगले में – माखनलाल चतुर्वेदी

आज नयन के बँगले में
संकेत पाहुने आये री सखि!

जी से उठे
कसक पर बैठे
और बेसुधी-
के बन घूमें
युगल-पलक
ले चितवन मीठी,
पथ-पद-चिह्न
चूम, पथ भूले!
दीठ डोरियों पर
माधव को

बार-बार मनुहार थकी मैं
पुतली पर बढ़ता-सा यौवन
ज्वार लुटा न निहार सकी मैं !
दोनों कारागृह पुतली के
सावन की झर लाये री सखि!

आज नयन के बँगले में
संकेत पाहुने आये री सखि !

                           – माखनलाल चतुर्वेदी

काव्यशाला द्वारा प्रकाशित रचनाएँ

हिंदी ई-बुक्स (Hindi eBooks)static_728x90

Advertisement

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s