पशेमानी – कैफ़ि आज़मी

मैं ये सोच कर उस के दर से उठा था
कि वो रोक लेगी मना लेगी मुझको
कदम ऐसे अंदाज से उठ रहे थे
कि वो आवाज़ देकर बुला लेगी मुझको
हवाओं मे लहराता आता था दामन
कि दामन पकड़ के बिठा लेगी मुझको

मगर उस ने रोका, ना मुझको मनाया
ना आवाज़ ही दी, ना वापस बुलाया
ना दामन ही पकड़ा, ना मुझको बिठाया
मैं आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ता ही आया
यहाँ तक कि उस से जुदा हो गया मैं

– कैफ़ि आज़मी

काव्यशाला द्वारा प्रकाशित रचनाएँ

कैफी के कुछ प्रमुख फिल्मी गीत

    • मैं ये सोच के उसके दर से उठा था।..(हकीकत)

    • है कली-कली के रुख पर तेरे हुस्न का फसाना…(लालारूख)

    • वक्त ने किया क्या हसीं सितम… (कागज के फूल)

    • इक जुर्म करके हमने चाहा था मुस्कुराना… (शमा)

    • जीत ही लेंगे बाजी हम तुम… (शोला और शबनम)

    • तुम पूछते हो इश्क भला है कि नहीं है।.. (नकली नवाब)

    • राह बनी खुद मंजिल… (कोहरा)

    • सारा मोरा कजरा चुराया तूने… (दो दिल)

    • बहारों…मेरा जीवन भी सँवारो… (आखिरी khत)

    • धीरे-धीरे मचल ए दिल-ए-बेकरार… (अनुपमा)

    • या दिल की सुनो दुनिया वालों… (अनुपमा)

    • मिलो न तुम तो हम घबराए… (हीर-रांझा)

    • ये दुनिया ये महफिल… (हीर-रांझा)

    • जरा सी आहट होती है तो दिल पूछता है।.. (हकीकत)

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