पीरी:
ये आँधी ये तूफ़ान ये तेज़ धारे
कड़कते तमाशे गरजते नज़ारे
अंधेरी फ़ज़ा साँस लेता समन्दर
न हमराह मिशाल न गर्दूँ पे तारे
मुसाफ़िर ख़ड़ा रह अभी जी को मारे
शबाब:
उसी का है साहिल उसी के कगारे
तलातुम में फँसकर जो दो हाथ मारे
अंधेरी फ़ज़ा साँस लेता समन्दर
यूँ ही सर पटकते रहेंगे ये धारे
कहाँ तक चलेगा किनारे-किनारे
- पीरी=बुढापा
- शबाब=यौवन
- फ़ज़ा=वातावरण
- मिशाल=मशाल
- गर्दूँ=आकाश
- साहिल=किनारा
- तलातुम=बाढ
कैफ़िआज़मीजीकीअन्यप्रसिधरचनाएँ
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झुकीझुकीसीनज़र
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दोशीज़ामालन
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तलाश
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दाएरा
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अंदेशे
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इतनातोज़िन्दगीमेंकिसीकीख़ललपड़े
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एकबोसा
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ऐसबा! लौटकेकिसशहरसेतूआतीहै?
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औरत
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कभीजमूदकभीसिर्फ़इंतिशारसाहै
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कर चले हम फ़िदा (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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काफ़िलातोचले
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कोईयेकैसेबतायेकिवोतन्हाक्योंहैं
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खार-ओ-खस तो उठें, रास्ता तो चले (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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ज़िन्दगी
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चरागाँ
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तुम (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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तुम परेशां न हो (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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दस्तूर क्या ये शहरे-सितमगर के हो गए (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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दायरा (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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दो-पहर (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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दोशीज़ा मालिन (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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नज़राना (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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मकान (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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मशवरे (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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मेरे दिल में तू ही तू है (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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मैं ढूँढता हूँ जिसे वो जहाँ नहीं मिलता (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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मैं यह सोचकर उसके दर से उठा था (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाए (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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पशेमानी (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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पहला सलाम (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाये (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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बस इक झिझक है यही (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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लश्कर के ज़ुल्म (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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लाई फिर इक लग़्ज़िशे-मस्ताना तेरे शहर में (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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वक्त ने किया क्या हंसी सितम (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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वतन के लिये (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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वो कभी धूप कभी छाँव लगे (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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वो भी सराहने लगे अरबाबे-फ़न के बाद (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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सदियाँ गुजर गयीं (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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सुना करो मेरी जाँ (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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सोमनाथ (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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शोर यूँ ही न परिंदों ने मचाया होगा (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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हाथ आकर लगा गया कोई (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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नेहरू
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