प्रार्थना – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

हे दीनबंधु दया-निकेतन विहग-केतन श्रीपते।
सब शोक-शमन त्रिताप-मोचन दुख-दमन जगतीपते।
भव-भीति-भंजन दुरित-गंजन अवनि-जन-रंजन विभो।
बहु-बार जन-हित-अवतरित ऐ अति-उदार-चरित प्रभो।1।

बहु-मूल्यता से वसन की भारत न कम आरत रहा।
रोमांच कर लखकर समर वह था चकित शंकित महा।
तब लौं दुरन्त अकाल का जंजाल शिर पर आ पड़ा।
आ सामने बिकराल बदन पसार काल हुआ खड़ा।2।

इस बार जन-संहार जो है प्रति-दिवस प्रभु हो रहा।
अवलोक, उसको नयन से किसके नहीं आँसू बहा।
बहु बंश धवंस हुए विपुल नर नगर के हैं मर रहे।
घर घर मचा कोहराम यम हैं ग्राम सूना कर रहे।3।

कुम्हला गईं कलियाँ विपुल, बहु फूल असमय झड़ पड़े।
टूटे अनूठे-रत्न, लूटे मणि गये सुन्दर बड़े।
सर्वस्व कितनों का छिना, बहुजन हृदय-धान हर गया।
दीपक बुझा बहुसदन का, बहु शीश मुकुट उतर गया।4।

बहु भाग्य-मन्दिर का कलश-कमनीय निपतित हो गया।
अगणित अकिंचन जन परम आधार पारस खो गया।
टूटी कुटिल-विधि निठुर-कर से, बहु सुजन-गौरव-तुला।
बहु नयन के तारे-छिने, बहु माँग का सेंदुर धुला।5।

तब भी द्रवित नहिं तुम हुए, हैं वैसिही भौंहें तनी।
अवलोकिए भारत-अवनि को सदय हो त्रिभुवन धनी।
सह भार नहिं जिसका सके बहु-बार-तनधार अवतरे।
उसकी बड़ी दुखमय दशा क्यों देख सकते हो हरे!।6।

गज पशु कहा अवलोक ग्राह-ग्रसित उसे पहुँचे वहीं।
फिर कुरुज कवलित मनुज कुल पर किसलिए द्रवते नहीं।
जब एक याँ के गीधा का दुख देख युग दृग भर गये।
बहु लोग याँ के तब रहें दुख भोगते क्यों नित नये।7।

जब व्याध का अपराध भी अपराध नहिं माना गया।
तब तुच्छतर अपराधियों पर क्यों विशिख ताना गया।
सुनकर पुकार गयंद की जब नयन से आँसू बहा।
तब किस तरह नरपुंज हाहाकार जाता है सहा।8।

बहु व्याधि घन माला घुमड़ भारत-गगन में है घिरी।
पर प्रबल पवन-प्रवाह बन प्रभु-दृष्टि अब लौं नहिं फिरी।
भारत विपिन जनता लता है जल रही सुधि लीजिए।
घनतन सदयता सलिल से रुज दव शमन कर दीजिए।9।

आकुल बने व्याकुल-नयन से विपुल-वारि विमोचते।
नर नारि बालक-वृन्द हैं वदनारबिन्द विलोकते।
वेनिशित विशिख समेटिए जिनसे विपुल मानव बिधो।
सब त्राहि त्राहि पुकारते हैं पाहि पाहि कृपानिधो।10।

– अयोध्या सिंह उपाध्याय “हरीऔध”

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरीऔध’ जी की अन्य प्रसिध रचनायें

  • चंदा मामा

  • बंदर और मदारी

  • तिनका

  • एक बूँद

  • जागो प्यारे 

  • चूँ-चूँ-चूँ-चूँ चूहा बोले 

  • चमकीले तारे 

  • आ री नींद

  • मीठी बोली

  • कोयल

  • फूल और काँटा

  • आँख का आँसू

  • कर्मवीर

  • बादल

  • संध्या

  • सरिता

  • अनूठी बातें

  • हमारा पतन

  • दमदार दावे

  • विबोधन

  • आँसू और आँखें

  • प्यासी आँखें

  • विवशता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • फूल (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • मतवाली ममता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • निर्मम संसार (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • अभेद का भेद (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • प्रार्थना (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • कमनीय कामनाएँ (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • आदर्श (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • गुणगान (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • माता-पिता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • हमारे वेद (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • पुष्पांजलि (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • उद्बोधन (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • विद्यालय (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • जीवन-मरण (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • परिवर्तन (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • हमें चाहिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • हमें नहीं चाहिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • क्या होगा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • एक उकताया (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • कुछ उलटी सीधी बातें (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • दिल के फफोले -1 (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • अपने दुखड़े (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • चाहिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • उलटी समझ (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • समझ का फेर (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • सेवा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • सेवा – 1 (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • सुशिक्षा-सोपान (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • भोर का उठना (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • अविनय (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • कुसुम चयन (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • बन-कुसुम (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • कृतज्ञता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • एक काठ का टुकड़ा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • नादान (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • भाषा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • हिन्दी भाषा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • उद्बोधन – 1 (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • अभिनव कला (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • उलहना (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • आशालता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • एक विनय (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • वक्तव्य (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • भगवती भागीरथी (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • पुण्यसलिला (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • गौरव गान (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • आँसू (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • आती है (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • घर देखो भालो (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • अपने को न भूलें (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • पूर्वगौरव (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • दमदार दावे (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • क्या से क्या (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • लानतान (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • प्रेम (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • मांगलिक पद्य (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • बांछा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • जीवन (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • कविकीर्ति (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • निराला रंग (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • चतुर नेता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • माधुरी (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • बनलता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • ललितललाम (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • मयंक (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • खद्योत (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • ललना-लाभ (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • जुगनू (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • विषमता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • घनश्याम (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • विकच वदन (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • मर्म-व्यथा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • मनोव्यथा – 1 (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • स्वागत (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • जन्‍मभूमि (शीघ्र प्रकाशित होगी)

हिंदी ई-बुक्स (Hindi eBooks)static_728x90

 

15 thoughts on “प्रार्थना – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

Leave a comment