जला सब तेल दीया बुझ गया है अब जलेगा क्या।
बना जब पेड़ उकठा काठ तब फूले फलेगा क्या।1।
रहा जिसमें न दम जिसके लहू पर पड़ गया पाला।
उसे पिटना पछड़ना ठोकरें खाना खलेगा क्या।2।
भले ही बेटियाँ बहनें लुटें बरबाद हों बिगड़ें।
कलेजा जब कि पत्थर बन गया है तब गलेगा क्या।3।
चलेंगे चाल मनमानी बनी बातें बिगाड़ेंगे।
जो हैं चिकने घड़े उन पर किसी का बस चलेगा क्या।4।
जिसे कहते नहीं अच्छा उसी पर हैं गिरे पड़ते।
भला कोई कहीं इस भाँत अपने को छलेगा क्या।5।
न जिसने घर सँभाला देश को क्या वह सँभालेगा।
न जो मक्खी उड़ा पाता है वह पंखा झलेगा क्या।6।
मरेंगे या करेंगे काम यह जी में ठना जिसके।
गिरे सर पर न बिजली क्यों जगह से वह टलेगा क्या।7।
नहीं कठिनाइयों में बीर लौं कायर ठहर पाते।
सुहागा आँच खाकर काँच के ऐसा ढलेगा क्या।8।
रहेगा रस नहीं खो गाँठ का पूरी हँसी होगी।
भला कोई पयालों को कतर घी में तलेगा क्या।9।
गया सौ सौ तरह से जो कसा कसना उसे कैसा।
दली बीनी बनाई दाल को कोई दलेगा क्या।10।
भला क्यों छोड़ देगा मिल सकेगा जो वही लेगा।
जिसे बस एक लेने की पड़ी है वह न लेगा क्या।11।
सगों के जो न काम आया करेगा जाति-हित वह क्या।
न जिससे पल सका कुनबा नगर उससे पलेगा क्या।12।
रँगा जो रंग में उसके बना जो धूल पाँवों की।
रँगेगा वह बसन क्यों राख तन पर वह मलेगा क्या।13।
करेगा काम धीरा कर सकेगा कुछ न बातूनी।
पलों में खर बुझेगा काठ के ऐसा बलेगा क्या।14।
न आँखों में बसा जो क्या भला मन में बसेगा वह।
न दरिया में हला जो वह समुन्दर में हलेगा क्या।15।
– अयोध्या सिंह उपाध्याय “हरीऔध”
अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरीऔध’ जी की अन्य प्रसिध रचनायें
-
चंदा मामा
-
बंदर और मदारी
-
तिनका
-
एक बूँद
-
जागो प्यारे
-
चूँ-चूँ-चूँ-चूँ चूहा बोले
-
चमकीले तारे
-
आ री नींद
-
मीठी बोली
-
कोयल
-
फूल और काँटा
-
आँख का आँसू
-
कर्मवीर
-
बादल
-
संध्या
-
सरिता
-
अनूठी बातें
-
हमारा पतन
-
दमदार दावे
-
विबोधन
-
आँसू और आँखें
-
प्यासी आँखें
-
विवशता
-
फूल
-
मतवाली ममता
-
निर्मम संसार
-
अभेद का भेद
-
प्रार्थना
-
कमनीय कामनाएँ
-
आदर्श
-
गुणगान (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
माता-पिता (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
हमारे वेद (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
पुष्पांजलि (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
उद्बोधन (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
विद्यालय (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
जीवन-मरण (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
परिवर्तन (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
हमें चाहिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
हमें नहीं चाहिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
क्या होगा (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
एक उकताया (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
कुछ उलटी सीधी बातें (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
दिल के फफोले -1 (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
अपने दुखड़े (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
चाहिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
उलटी समझ (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
समझ का फेर (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
सेवा (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
सेवा – 1 (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
सुशिक्षा-सोपान (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
भोर का उठना (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
अविनय (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
कुसुम चयन (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
बन-कुसुम (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
कृतज्ञता (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
एक काठ का टुकड़ा (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
नादान (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
भाषा (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
हिन्दी भाषा (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
उद्बोधन – 1 (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
अभिनव कला (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
उलहना (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
आशालता (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
एक विनय (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
वक्तव्य (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
भगवती भागीरथी (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
पुण्यसलिला (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
गौरव गान (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
आँसू (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
आती है (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
घर देखो भालो (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
अपने को न भूलें (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
पूर्वगौरव (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
दमदार दावे (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
क्या से क्या (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
लानतान (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
प्रेम (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
मांगलिक पद्य (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
बांछा (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
जीवन (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
कविकीर्ति (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
निराला रंग (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
चतुर नेता (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
माधुरी (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
बनलता (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
ललितललाम (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
मयंक (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
खद्योत (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
ललना-लाभ (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
जुगनू (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
विषमता (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
घनश्याम (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
विकच वदन (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
मर्म-व्यथा (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
मनोव्यथा – 1 (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
स्वागत (शीघ्र प्रकाशित होगी)
-
जन्मभूमि (शीघ्र प्रकाशित होगी)
One thought on “कुछ उलटी सीधी बातें – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’”