कुछ बातें हैं… – विकाश कुमार

कुछ बातें हैं तुम कहो तो बता दूँ ‬
सब अच्छा कुछ बुरा भी जता दूँ
बड़ी शिद्दत से पहुँचा हूँ मंज़िल पर
कुछ याद आए तो घर का पता दूँ

‪बड़ी दुआयें लगी हैं बड़ी रेहमतें हैं मुझपर ‬
ये शहर थोड़ा वक़्त दें वो कर्ज़े हटा दूँ
वादे सारे अधूरे रहे पर किश्तें सारी पूरी कीं
भूल गया कि उन बूढ़ी आँखों का कुछ दर्द बँटा दूँ

घिस घिस कर जूते अब चलना सीखा मैंने
खुद के गिरने पर अब किसको को खता दूँ
मेरे कुछ बनने में मैं खुद पीछे छूट गया
और भी कुछ छूटा है तुम कहो तो बता दूँ…

– विकाश कुमार

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