दुनिया को जला फ़ना कर दे – विकाश कुमार

दुनिया को जला फ़ना कर दे
ईमान को झुकने से मना कर दे

मेरे दिल बेशक इश्क़ कर
दुनियादारी मगर भूलने से मना कर दे

चाँद भी तोड़ कर लाना है
ख़ाली हाथ घर लौटने से मना कर दे

हवा है आज कल वफ़ा की
इस माहौल में मरने से मना कर दे

वो डराता है आखों में घूर कर
मगर तू फिर भी डरने से मना कर दे

– विकाश कुमार

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