चल मेरी ढोलकी – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

चल मेरी ढोलकी ढमाक-ढम,
नानी के घर जाते हम।
चल मेरी ढोलकी ढमाक-ढम
नहीं रुकेंगे कहीं भी हम!
चल मेरी ढोलकी ढमाक-ढम,
दूध मलाई खाएँगे हम।
चल मेरी ढोलकी ढमाक-ढम,
मोटे होकर आएँगे हम।

– द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

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