मुन्ना-मुन्नी – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

मुन्ना-मुन्नी ओढ़े चुन्नी, गुड़िया खूब सजाई
किस गुड्डे के साथ हुई तय इसी आज सगाई

मुन्ना-मुन्नी ओढ़े चुन्नी, कौन खुशी की बात है,
आज तुम्हारी गुड़िया प्यारी की क्या चढ़ी बरात है!

मुन्ना-मुन्नी ओढ़े चुन्नी, गुड़िया गले लगाए,
आँखों से यों आँसू ये क्यों रह-रह बह-बह जाए!

मुन्ना-मुन्नी ओढ़े चुन्नी, क्यों ऐसा यह हाल है,
आज तुम्हारी गुड़िया प्यारी जाती क्या ससुराल है!

– द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

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