असद’ हम वो जुनूँ-जौलाँ – मिर्ज़ा ग़ालिब

‘असद’ हम वो जुनूँ-जौलाँ गदा-ए-बे-सर-ओ-पा हैं
कि है सर-पंजा-ए-मिज़्गान-ए-आहू पुश्त-ख़ार अपना

मिर्ज़ा ग़ालिब

 

मिर्ज़ा ग़ालिब की अन्य प्रसिध रचनाएँ

  • यूँ होता तो क्या होता
  • दिल ही तो है
  • हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
  • अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा
  • दिया है दिल
  • हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी
  • आमों की तारीफ़ में
  • ये न थी हमारी क़िस्मत
  • अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना
  • अपना अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार कहूँ
  • अफ़सोस कि दनदां का किया रिज़क़ फ़लक ने
  • ‘असद’ हम वो जुनूँ-जौलाँ गदा-ए-बे-सर-ओ-पा हैं
  • आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है
  • आमद-ए-सैलाब-ए-तूफ़न-ए सदाए आब है
  • उग रहा है दर-ओ-दीवार से सबज़ा ग़ालिब
  • क़यामत है कि सुन लैला का दश्त-ए-क़ैस में आना
  • कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं
  • कहते तो हो तुम सब कि बुत-ए-ग़ालिया-मू आए
  • कार-गाह-ए-हस्ती में लाला दाग़-सामाँ है
  • कोह के हों बार-ए-ख़ातिर गर सदा हो जाइये
  • क्या तंग हम सितमज़दगां का जहान है
  • ख़ुश हो ऐ बख़्त कि है आज तेरे सर सेहरा
  • गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग
  • गरम-ए-फ़रयाद रखा शक्ल-ए-निहाली ने मुझे
  • गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज
  • घर में था क्या कि तिरा ग़म उसे ग़ारत करता
  • चशम-ए-ख़ूबां ख़ामुशी में भी नवा-परदाज़ है
  • जब तक दहान-ए-ज़ख़्म न पैदा करे कोई
  • ज़-बस-कि मश्क़-ए-तमाशा जुनूँ-अलामत है
  • ज़माना सख़्त कम-आज़ार है ब-जान-ए-असद
  • ज़हर-ए-ग़म कर चुका था मेरा काम
  • जादा-ए-रह ख़ुर को वक़्त-ए-शाम है तार-ए-शुआ
  • ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री ‘ग़ालिब’
  • जुनूँ की दस्त-गीरी किस से हो गर हो न उर्यानी
  • तपिश से मेरी वक़्फ़-ए-कशमकश हर तार-ए-बिस्तर है
  • ता हम को शिकायत की भी बाक़ी न रहे जा
  • तुम अपने शिकवे की बातें न खोद खोद के पूछो
  • तुम न आए तो क्या सहर न हुई
  • तेरे वादे पर जिये हम
  • दिल लगा कर लग गया उन को भी तनहा बैठना
  • देख कर दर-पर्दा गर्म-ए-दामन-अफ़्शानी मुझे
  • न लेवे गर ख़स-ए-जौहर तरावत सबज़-ए-ख़त से
  • नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खींच
  • नवेदे-अम्न है बेदादे दोस्त जाँ के लिए
  • नश्शा-हा शादाब-ए-रंग ओ साज़-हा मस्त-ए-तरब
  • नुक्‌तह-चीं है ग़म-ए दिल उस को सुनाए न बने
  • पीनस में गुज़रते हैं जो कूचे से वह मेरे
  • फ़ारिग़ मुझे न जान कि मानिंद-ए-सुब्ह-ओ-मेहर
  • फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
  • फिर हुआ वक़्त कि हो बाल कुशा मौजे-शराब
  • फुटकर शेर
  • ब-नाला हासिल-ए-दिल-बस्तगी फ़राहम कर
  • बर्शकाल-ए-गिर्या-ए-आशिक़ है देखा चाहिए
  • बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला
  • बिजली इक कौंद गयी आँखों के आगे तो क्या
  • बीम-ए-रक़ीब से नहीं करते विदा-ए-होश
  • मस्ती ब-ज़ौक़-ए-ग़फ़लत-ए-साक़ी हलाक है
  • मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें ‘ग़ालिब’
  • मुझ को दयार-ए-ग़ैर में मारा वतन से दूर
  • ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं
  • रफ़्तार-ए-उम्र क़त-ए-रह-ए-इज़्तिराब है
  • रहा गर कोई ता क़यामत सलामत
  • लब-ए-ईसा की जुम्बिश करती है गहवारा-जम्बानी
  • लूँ वाम बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता से यक-ख़्वाब-ए-खुश वले
  • लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं
  • वह शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहां
  • वह हर एक बात पर कहना कि यों होता तो क्या होता
  • वां उस को हौल-ए-दिल है तो यां मैं हूं शरम-सार
  • वुसअत-स-ईए-करम देख कि सर-ता-सर-ए-ख़ाक
  • शुमार-ए सुबह मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल पसंद आया
  • सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर
  • सितम-कश मस्लहत से हूँ कि ख़ूबाँ तुझ पे आशिक़ हैं
  • सियाहि जैसे गिर जावे दम-ए-तहरीर काग़ज़ पर
  • हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
  • हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे
  • हरीफ़-ए-मतलब-ए-मुशकिल नहीं फ़ुसून-ए-नियाज़
  • हासिल से हाथ धो बैठ ऐ आरज़ू-ख़िरामी
  • हुजूम-ए-नाला हैरत आजिज़-ए-अर्ज़-ए-यक-अफ़्ग़ँ है
  • हुज़ूर-ए-शाह में अहल-ए-सुख़न की आज़माइश है
  • हुश्न-ए-बेपरवा ख़रीदार-ए-मता-ए-जलवा है
  • है बज़्म-ए-बुतां में सुख़न आज़ुर्दा लबों से

शायरी ई-बुक्स ( Shayari eBooks)static_728x90

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