विद्यालय – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

है विद्यालय वही जो परम मंगलमय हो।
बरविचार आकलित अलौकिक कीर्ति निलय हो।
भावुकता बर वदन सुविकसित जिससे होवे।
जिसकी शुचिता प्रीति वेलि प्रति उर में बोवे।
पर अतुलित बल जिससे बने जाति बुध्दि अति बलवती।
बहु लोकोत्तर फल लाभ कर हो भारत भुवि फलवती।1।

होगा भवहित मूल भूत उस विद्यालय का।
गिरा देवि के बन्दनीयतम देवालय का।
उसमें होगी जाति संगठन की शुभ पूजा।
होवेगा सहयोग मंत्र स्वर उस में गूँजा।
कटुता विरोध संकीर्णता कलह कुटिलता कुरुचि मल।
कर दूरित उस में बहेगी पूत नीति धारा प्रबल।2।

शुभ आशाएँ वहाँ समर्थित रंजित होंगी।
कलित कामनाएँ अनुमोदित व्यंजित होंगी।
वहाँ सरस जातीय तान रस बरसावेगी।
देश प्रीति की उमग राग रुचिकर गावेगी।
पूरित होगा गरिमा सहित वर व्यवहार सुवाद्य स्वर।
उसमें वीणा सहकारिता बजकर देगी मुग्धा कर।3।

जिसमें कलह विवाद वाद आमंत्रित होवे।
द्वेष जहाँ पर बीज भिन्नताओं का बोवे।
जहाँ सकल संकीर्ण भाव की होवे पूजा।
आकुल रहे विवेक जहाँ बन करके लूँजा।
उस विद्यालय के मधय है कहाँ प्रथित महनीयता।
होती विलोप जिसमें रहे रही सही जातीयता।4।

प्राय: है यह बात आज श्रुति गोचर होती।
नाश बीज जातीय सभाएँ हैं अब बोती।
प्रतिदिन उनसे संघ शक्ति है कुचली जाती।
उनसे प्रश्रय है बिभिन्नता ही नित पाती।
अब अध:पात है हो रहा उनके द्वारा जाति का।
वे चाह रही हैं शान्ति फल पादप रोप अशान्ति का।5।

अपना अपना राग व अपनी अपनी डफली।
बहुत गा बजा चुके पर न अब भी सुधि सँभली।
ढाई चावल की खिचड़ी हम अलग पकाकर।
दिन दिन हैं मिट रहे समय की ठोकर खाकर।
एकता और निजता बिना काम चला है कब कहीं।
वह जाति न जीती रह सकी जिस में जीवन ही नहीं।6।

जाति जाति की सभा जातियों के विद्यालय।
अति निन्दित हैं संघ शक्ति जो करें न संचय।
उन विद्यालय और सभाओं से क्या होगा।
डूब जाय जिससे हिन्दू गौरव का डोंगा।
जो काम न आई जाति के वह कैसी हितकारिता।
वह संस्था संस्था ही नहीं जहाँ न हो सहकारिता।7।

जिसमें केन्द्रीकरण नहीं वह सभा नहीं है।
जो न तिमिर हर सके प्रभा वह प्रभा नहीं है।
उस विद्यालय को विद्यालय कैसे मानें।
जहाँ फूट औ कलह सुनावें अपनी तानें।
मिल जाय धूल में वह सकल स्वार्थनिकेतन स्वकीयता।
जिससे वंचित विचलित दलित हो हिन्दू जातीयता।8।

यह विचार औ समय-दशा पर डाल निगाहें।
उन उदार सुजनों को कैसे नहीं सराहें।
जिन लोगों ने सकल जाति को गले लगाया।
विद्यालय को सदा अवरित द्वार बनाया।
सब काल भाव ऐसे कलित ललित उदय होते रहे।
सब लोग मलिनता उरों की अमलिन बन धोते रहें।9।

प्रभो देश में जितने हिन्दू विद्यालय हों।
एक सूत्र में बँधो एकता-निजता मय हों।
छात्र-वृन्द जातीय भाव से पूरित होवें।
आत्म त्यागरत रहे जाति हित सरबस खोवें।
ब्राह्मण छत्रिय वैश्य औ शुद्र भिन्नता तज मिलें।
बढ़े परस्पर प्यार औ कुम्हलाये मानस खिलें।10।

– अयोध्या सिंह उपाध्याय “हरीऔध”

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरीऔध’ जी की अन्य प्रसिध रचनायें

  • चंदा मामा

  • बंदर और मदारी

  • तिनका

  • एक बूँद

  • जागो प्यारे 

  • चूँ-चूँ-चूँ-चूँ चूहा बोले 

  • चमकीले तारे 

  • आ री नींद

  • मीठी बोली

  • कोयल

  • फूल और काँटा

  • आँख का आँसू

  • कर्मवीर

  • बादल

  • संध्या

  • सरिता

  • अनूठी बातें

  • हमारा पतन

  • दमदार दावे

  • विबोधन

  • आँसू और आँखें

  • प्यासी आँखें

  • विवशता 

  • फूल

  • मतवाली ममता

  • निर्मम संसार

  • अभेद का भेद

  • प्रार्थना 

  • कमनीय कामनाएँ

  • आदर्श

  • गुणगान (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • माता-पिता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • हमारे वेद (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • पुष्पांजलि (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • उद्बोधन (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • विद्यालय (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • जीवन-मरण (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • परिवर्तन (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • हमें चाहिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • हमें नहीं चाहिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • क्या होगा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • एक उकताया (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • कुछ उलटी सीधी बातें (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • दिल के फफोले -1 (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • अपने दुखड़े (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • चाहिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • उलटी समझ (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • समझ का फेर (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • सेवा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • सेवा – 1 (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • सुशिक्षा-सोपान (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • भोर का उठना (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • अविनय (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • कुसुम चयन (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • बन-कुसुम (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • कृतज्ञता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • एक काठ का टुकड़ा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • नादान (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • भाषा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • हिन्दी भाषा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • उद्बोधन – 1 (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • अभिनव कला (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • उलहना (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • आशालता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • एक विनय (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • वक्तव्य (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • भगवती भागीरथी (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • पुण्यसलिला (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • गौरव गान (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • आँसू (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • आती है (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • घर देखो भालो (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • अपने को न भूलें (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • पूर्वगौरव (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • दमदार दावे (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • क्या से क्या (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • लानतान (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • प्रेम (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • मांगलिक पद्य (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • बांछा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • जीवन (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • कविकीर्ति (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • निराला रंग (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • चतुर नेता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • माधुरी (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • बनलता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • ललितललाम (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • मयंक (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • खद्योत (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • ललना-लाभ (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • जुगनू (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • विषमता (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • घनश्याम (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • विकच वदन (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • मर्म-व्यथा (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • मनोव्यथा – 1 (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • स्वागत (शीघ्र प्रकाशित होगी)

  • जन्‍मभूमि (शीघ्र प्रकाशित होगी)

हिंदी ई-बुक्स (Hindi eBooks)static_728x90

 

One thought on “विद्यालय – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

Leave a comment