नव प्रभात का हुआ आगमन
है उपवन अंचल स्तंभित
पुष्प लताओं के झुरमुट में
छिपकर बैठी
हरित पत्र पर
बूँद ओस की
ज्योतित निर्मल
धवल स्फटिक
चित्ताकर्षक
स्पष्ट शुभ्र
पारदर्शक
सुष्मित सरला
तुषार कणिका।
जैसे कविता
अविदित पुस्तक
अज्ञात पृष्ट
अव्यक्त भाव
गंभीर गहन
नीरवता में
करती मौन
प्रतीक्षा उसकी
जो शब्दित भावों की रचना
नव निनाद से कर दे गुंजित
जड़ चेतन हो जाये झंकृत।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ रुड़की से सिविल एंजिनीरिंग में ग्रैजूएशन के उपरांत कुछ समय सी.पी.डब्ल्यू.डी और यू.पी. हाउज़िंग एंड डिवेलप्मेंट बोर्ड में कार्यरत रहे. तदुपरांत उ. प्र. लोक निर्माण विभाग जोईन किया एवं अभियंता अधिकारी के रूप में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में कार्यरत रहे तथा वहीं से सेवानिवृत हुए । माई चाइल्ड ऋषिमा छोटी बच्ची ऋषिमा की बाल गतिविधियों से सम्बंधित कहानियों एवं कविताओं के रूप में इनकी पहली पुस्तक है । लम्बे अंतराल के पश्चात् बंद पड़ा लेखन पुनः प्रारम्भ किया है ।
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