तस्वीर बनाता हूँ तस्वीर नहीं बनती   – ख़ुमार बाराबंकवी

तस्वीर बनाता हूँ तस्वीर नहीं बनती
एक ख़्वाब सा देखा है ताबीर नहीं बनती

बेदर्द मुहब्बत का इतना-सा है अफ़साना
नज़रों से मिली नज़रें मैं हो गया दीवाना
अब दिल के बहलने की तदबीर नहीं बनती

दम भर के लिए मेरी दुनिया में चले आओ
तरसी हुई आँखों को फिर शक्ल दिखा जाओ
मुझसे तो मेरी बिगड़ी तक़दीर नहीं बनती

– खुमार बाराबंकवी

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