रुख़्सत-ए-शबाब  – ख़ुमार बाराबंकवी

ऐसा नहीं कि हम से मुहब्ब्त नहीं रहीं,
जस्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही

सर में वो इंतज़ार का सौदा नहीं,
रहा दिल पर वो धड़कनो की हुकूमत नहीं रहीं

कमज़ोर ये निगाह ने संजीदा कर दिया,
जन्मों से छेड़-छाड़ की आदत नहीं रहीं

आँखो से तुम दिखाओगी या इल्तयाश में,
दामन-ए-यार से कोई इस्मत नहीं रहीं

चेहरे पर झुर्रियों ने कयामत बना दिया,
आईना देखने की भी हिम्मत नहीं रहीं

अल्लाह जाने मौत कहा मर गई “खुमार”,
अब मुझको ज़िन्दगी की ज़रूरत नहीं रही

– खुमार बाराबंकवी

खुमार बाराबंकवी की अन्य प्रसिध रचनाएँ

  • एक पल में एक सदी का मज़ा
  • दुनिया के ज़ोर प्यार के दिन
  • ये मिसरा नहीं है
  • कभी शेर-ओ-नगमा बनके
  • वो हमें जिस कदर आज़मा रहे है
  • वो जो आए हयात याद आई
  • तेरे दर से उठकर
  • न हारा है इश्क और न दुनिया थकी है
  • सुना है वो हमें भुलाने लगे है
  • झुंझलाए है लजाए है
  • रुख़्सत-ए-शबाब (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • वो खफा है तो कोई बात नहीं (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • दिल को तस्कीन-ए-यार ले डूबी (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • आँसूगदी से इश्क-ए-जवाँ को बचाइए (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • ऐ मौत उन्हें भुलाए ज़माने गुज़र गये (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • तस्वीर बनाता हूँ तस्वीर नहीं बनती (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • एक पल में एक सदी का मज़ा हमसे पूछिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • हाल-ए-गम उन को सुनाते जाइए (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • हुस्न जब मेहरबान हो तो क्या कीजिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • हिज्र की शब है और उजाला है (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • क्या हुआ हुस्न हमसफ़र है या नहीं (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • मुझ को शिकस्ते दिल का मज़ा याद आ गया (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • गमे-दुनिया बहुत इज़ारशाँ है (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • बुझ गया दिल हयात बाकी है (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • वो सवा याद आये भुलाने के बाद (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • हम उन्हें वो हमें भुला बैठे (शीघ्र प्रकाशित होगी)

शायरी ई-बुक्स ( Shayari eBooks)static_728x90

 

3 thoughts on “रुख़्सत-ए-शबाब  – ख़ुमार बाराबंकवी

Leave a comment