मै अनंत पथ में लिखती जो
सस्मित सपनों की बाते
उनको कभी न धो पायेंगी
अपने आँसू से रातें!
उड़् उड़ कर जो धूल करेगी
मेघों का नभ में अभिषेक
अमिट रहेगी उसके अंचल-
में मेरी पीड़ा की रेख!
तारों में प्रतिबिम्बित हो
मुस्कायेंगी अनंत आँखें,
हो कर सीमाहीन, शून्य में
मँडरायेगी अभिलाषें!
वीणा होगी मूक बजाने-
वाला होगा अंतर्धान,
विस्मृति के चरणों पर आ कर
लौटेंगे सौ सौ निर्वाण!
जब असीम से हो जायेगा
मेरी लघु सीमा का मेल,
देखोगे तुम देव! अमरता
खेलेगी मिटने का खेल!
महादेवी वर्मा की अन्य प्रसिध रचनाए
-
अलि, मैं कण-कण को जान चली
-
जब यह दीप थके
-
पूछता क्यों शेष कितनी रात?
-
पथ देख बिता दी रै
-
यह मंदिर का दीप
-
जो तुम आ जाते एक बार
-
कौन तुम मेरे हृदय में
-
मिटने का अधिकार
-
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!
-
जाने किस जीवन की सुधि ले
-
नीर भरी दुख की बदली
-
तेरी सुधि बिन
-
तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या!
-
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ
-
जाग तुझको दूर जाना
-
जीवन विरह का जलजात
-
मैं बनी मधुमास आली!
-
बताता जा रे अभिमानी!
-
मेरा सजल मुख देख लेते!
-
प्रिय चिरन्तन है
-
अश्रु यह पानी नहीं है
-
स्वप्न से किसने जगाया?
-
धूप सा तन दीप सी मैं
-
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी
-
मैं अनंत पथ में लिखती जो
-
जो मुखरित कर जाती थीं
-
क्यों इन तारों को उलझाते?
-
वे मधुदिन जिनकी स्मृतियों की
-
अलि अब सपने की बात
-
सजनि कौन तम में परिचित सा
-
दीपक अब रजनी जाती रे
-
अधिकार
-
क्या पूजन क्या अर्चन रे!
-
फूल
-
दीप मेरे जल अकम्पित
-
बया हमारी चिड़िया रानी
-
तितली से
-
ठाकुर जी भोले हैं
-
कोयल
-
सजनि दीपक बार ले
-
आओ प्यारे तारो आओ
8 thoughts on “मै अनंत पथ में लिखती जो – महादेवी वर्मा”