आज फिर से – हरिवंशराय बच्चन

आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

है कंहा वह आग जो मुझको जलाए,
है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए,

रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी,
नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी,

आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

मैं तपोमय ज्योती की, पर, प्यास मुझको,
है प्रणय की शक्ति पर विश्वास मुझको,

स्नेह की दो बूंदे भी तो तुम गिराओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

कल तिमिर को भेद मैं आगे बढूंगा,
कल प्रलय की आंधियों से मैं लडूंगा,

किन्तु आज मुझको आंचल से बचाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

हरिवंशराय बच्चन जी की अन्य प्रसिध रचनाएँ

हिंदी ई-बुक्स (Hindi eBooks)static_728x90

 

Advertisement

2 thoughts on “आज फिर से – हरिवंशराय बच्चन

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s