याचना – सुमित्रानंदन पंत

यह कविता सुमित्रानंदन पंत की की कविता संग्रह पल्लव से ली गयी है। इस संग्रह की अन्य कविताओं के लिए पढ़ें पल्लव ।

बना मधुर मेरा जीवन!
नव नव सुमनों से चुन चुन कर
धूलि, सुरभि, मधुरस, हिम-कण,
मेरे उर की मृदु-कलिका में
भरदे, करदे विकसित मन।

बना मधुर मेरा भाषण!
बंशी-से ही कर दे मेरे
सरल प्राण औ’ सरस वचन,
जैसा जैसा मुझको छेड़ें
बोलूँ अधिक मधुर, मोहन;
जो अकर्ण-अहि को भी सहसा
करदे मन्त्र-मुग्ध, नत-फन,
रोम रोम के छिद्रों से मा!
फूटे तेरा राग गहन,
बना मधुर मेरा तन, मन!

सुमित्रानंदन पंत

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