अग्निपथ – हरिवंशराय बच्चन

यह महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है, अश्रु श्वेत रक्त से, लथपथ लथपथ लथपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

पंद्रह अगस्त की पुकार – अटल बिहारी वाजपेयी

आज़ादी अभी अधूरी है। सपने सच होने बाकी है, रावी की शपथ न पूरी है।।

तीर पर कैसे रुकूँ मैं – हरिवंशराय बच्चन

तीर पर कैसे रुकूँ मैं, आज लहरों में निमंत्रण! रात का अंतिम प्रहर है, झिलमिलाते हैं सितारे, वक्ष पर युग बाहु बाँधे, मैं खड़ा सागर किनारे वेग से बहता प्रभंजन, केश-पट मेरे उड़ाता,

परम्परा – रामधारी सिंह ‘दिनकर’

परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो उसमें बहुत कुछ है जो जीवित है जीवन दायक है जैसे भी हो ध्वंस से बचा रखने लायक है

मधुशाला – हरिवंशराय बच्चन

मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।

कृष्ण की चेतावनी – रामधारी सिंह ‘दिनकर’

रामधारी सिंह 'दिनकर' जी का महाकाव्य कृष्ण की चेतावनी रामधारी सिंह 'दिनकर' जी के प्रसिध काव्यों में से एक "रश्मीरथि" की एक बड़ी लोकप्रिय कविता हैं | वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर। सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है। मैत्री … Continue reading कृष्ण की चेतावनी – रामधारी सिंह ‘दिनकर’

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती – हरिवंश राय बच्चन 

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है। मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है। आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की … Continue reading कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती – हरिवंश राय बच्चन