ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया? भेद में अभेद खो गया। बँट गये शहीद, गीत कट गए, कलेजे में कटार दड़ गई। दूध में दरार पड़ गई।
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क्षमा याचना – अटल बिहारी वाजपेयी
क्षमा करो बापू! तुम हमको, बचन भंग के हम अपराधी, राजघाट को किया अपावन, मंज़िल भूले, यात्रा आधी।
झुक नहीं सकते – अटल बिहारी वाजपेयी
टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते सत्य का संघर्ष सत्ता से न्याय लड़ता निरंकुशता से अंधेरे ने दी चुनौती है किरण अंतिम अस्त होती है
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं – अटल बिहारी वाजपेयी
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है। हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं।
जिहि फन फुत्कार उड़त पहाड़ भार – भूषण
जिहि फन फुत्कार उड़त पहाड़ भार, कूरम कठिन जनु कमल बिदगिलो.
गरुड़ को दावा – भूषण
गरुड़ को दावा जैसे नाग के समूह पर दावा नाग जूह पर सिंह सिरताज को
राखी हिन्दुवानी हिन्दुवान को तिलक राख्यौ – भूषण
राखी हिन्दुवानी हिन्दुवान को तिलक राख्यौ अस्मृति पुरान राखे वेद धुन सुनी मैं
ब्रह्म के आनन तें निकसे – भूषण
ब्रह्म के आनन तें निकसे अत्यंत पुनीत तिहूँ पुर मानी . राम युधिष्ठिर के बरने बलमीकहु व्यास के अंग सोहानी.
इन्द्र जिमि जंभ पर – भूषण
इन्द्र जिमि जंभ पर, बाडब सुअंभ पर, रावन सदंभ पर, रघुकुल राज हैं। पौन बारिबाह पर, संभु रतिनाह पर, ज्यौं सहस्रबाह पर राम-द्विजराज हैं॥
परिचय – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैं स्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैं बँधा हूँ, स्वप्न हूँ, लघु वृत हूँ मैं नहीं तो व्योम का विस्तार हूँ मैं




