सन्नाटा वसुधा पर छाया, नभ में हमनें कान लगाया, फ़िर भी अगणित कंठो का यह राग नहीं हम सुन पाते हैं कहते हैं तारे गाते हैं स्वर्ग सुना करता यह गाना, पृथ्वी ने तो बस यह जाना, अगणित ओस-कणों में तारों के नीरव आंसू आते हैं कहते हैं तारे गाते हैं
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पवन ने कहा – कुमार विश्वास
पवन ने कहा सौंप दो मुझे अपना सब सत्व तमस व रजत चाहती हूँ मैं स्वयं से जोड़ना तुमको यही होगी गति उत्तम शब्द सार्थक नियति उत्तम किन्तु मुझे करना
जुगनू – हरिवंशराय बच्चन
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है? उठी ऐसी घटा नभ में छिपे सब चांद औ' तारे, उठा तूफान वह नभ में गए बुझ दीप भी सारे,
नेह के सन्दर्भ बौने हो गए – कुमार विश्वास
नेह के सन्दर्भ बौने हो गए होंगे मगर, फिर भी तुम्हारे साथ मेरी भावनायें हैं, शक्ति के संकल्प बोझिल हो गये होंगे मगर, फिर भी तुम्हारे चरण मेरी कामनायें हैं, हर तरफ है भीड़ ध्वनियाँ और चेहरे हैं अनेकों, तुम अकेले भी नहीं हो, मैं अकेला भी नहीं हूँ
साथी, सब कुछ सहना होगा! – हरिवंशराय बच्चन
साथी, सब कुछ सहना होगा! मानव पर जगती का शासन, जगती पर संसृति का बंधन, संसृति को भी और किसी के प्रतिबंधो में रहना होगा! साथी, सब कुछ सहना होगा!
देवदास मत होना – कुमार विश्वास
खुद से भी मिल न सको, इतने पास मत होना इश्क़ तो करना, मगर देवदास मत होना देखना, चाहना, फिर माँगना, या खो देना ये सारे खेल हैं, इनमें उदास मत होना जो भी तुम चाहो, फ़क़त चाहने से मिल जाए ख़ास तो होना, पर इतने भी ख़ास मत होना
कोई गाता मैं सो जाता – हरिवंशराय बच्चन
संस्रिति के विस्तृत सागर में सपनो की नौका के अंदर दुख सुख कि लहरों मे उठ गिर बहता जाता, मैं सो जाता । आँखों में भरकर प्यार अमर आशीष हथेली में भरकर कोई मेरा सिर गोदी में रख सहलाता, मैं सो जाता ।
दुःखी मत हो – कुमार विश्वास
सार्त्र! तुम्हें आदमी के अस्तित्व की चिंता है न? दुःखी मत हो दार्शनिक मैं तुम्हें सुझाता हूँ क्षणों को पूरे आत्मबोध के साथ जीते हुए आदमज़ाद की सही तस्वीर दिखाता हूँ- भागती ट्रामों दौड़ती कारों
किस कर में यह वीणा धर दूँ? – हरिवंशराय बच्चन
देवों ने था जिसे बनाया, देवों ने था जिसे बजाया, मानव के हाथों में कैसे इसको आज समर्पित कर दूँ? किस कर में यह वीणा धर दूँ?
तुम्हें मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा – कुमार विश्वास
ओ कल्पव्रक्ष की सोनजुही! ओ अमलताश की अमलकली! धरती के आतप से जलते... मन पर छाई निर्मल बदली... मैं तुमको मधुसदगन्ध युक्त संसार नहीं दे पाऊँगा| तुम मुझको करना माफ तुम्हें मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा|


