दर्द अपनाता है पराए कौन कौन सुनता है और सुनाए कौन कौन दोहराए वो पुरानी बात ग़म अभी सोया है जगाए कौन
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दर्द अपनाता है पराए कौन – जावेद अख़्तर
दर्द अपनाता है पराए कौन कौन सुनता है और सुनाए कौन कौन दोहराए वो पुरानी बात ग़म अभी सोया है जगाए कौन
ज़बान – जावेद अख़्तर
ये आवाज़ों की तस्वीरें कैसे बनी थीं आवाज़ें तस्वीर बनीं या तस्वीरें आवाज़ बनी थीं
मेरा आँगन मेरा पेड़ – जावेद अख़्तर
मेरा आँगन कितना कुशादा कितना बड़ा था जिसमें मेरे सारे खेल समा जाते थे



