जर जमीन एक करदी,इस वतन के वास्ते।
खून से कस्तियाँ लिख दी,इस वतन के वास्ते।
हँसते हँसते सूली चढ़ गये, इस वतन के वास्ते।
गोलियां सीने पर झेली, इस वतन के वास्ते।
खून की होलियाँ खेली इस वतन के वास्ते।
खून से लिख दी फतह भी,इस वतन के वास्ते।
उफने दिल ने मांगी आजादी इस वतन के वास्ते।
कट गये पर न झुके सिर,इस वतन के वास्ते।
हँसते हँसते जाँ गवा दी,इस वतन के वास्ते।
– सोमिल जैन ‘सोमू’

सोमिल जैन “सोमू’ जी का मानना है की अभी तक उन्होंने ऐसा कोई तीर नहीं मारा है जो वो आपको अपना परिचय दे सकें परंतु काव्यशाला नव कवि मंडली से जुड़ने की उत्सुकता ने उन्हें अपना परिचय लिखने पर विवश कर दिया। वह दलपतपुर, सागर मध्यप्रदेश के निवासी है द्वितीय वर्ष (कला) के विद्यार्थी हैं। उन्हें आजकल किताबों से प्रेम हो गया है और यही कारण है की उनकी रुचि लेखन में भी हो गयी है। वह कविता, गजल, नगमे और शायरी लिखने का शौक एवं जुनून रखते हैं। हम इसी जुनून को आप तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। हमें आशा है की आपको उनकी ये रचना पसंद आएगी।
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इस वतन के वास्ते
धन्यवाद
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dil ko cha gai ye kabita
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