अब ये किसने कहा हम बोलते नहीं सहाब तुम प्यार तो करो हम बोलेंगे भी, तोड़ेंगे भी समाज को भी, कौमी एकता को भी और हड्डियों को भी तुम नहीं जानते हमारी भावनाएं
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मैं कवी हूँ – विकास कुमार
मैं कवी हूँ मैं तुमको हमेशा ताली बजाने के लिए नहीं कहूंगा, और ना ही मैं तुमको हसाऊंगा । ना ही कविता का काफिया मिलाऊँगा । आज में बस शब्दों को एकता की माला में पिरोऊंगा , आज जो तुम्हारे कृत्य हैं उसमें हास्य कहाँ उसमें ताली बजाने की गुंजाइश कहाँ ,
बजट – विकास कुमार
एक नन्हा मुन्ना बच्चा यही कोई 8-10 साल का फटा हुआ लिबास या यूं कहो पहनने के नाम पर बस चिथड़ा खींचता जा रहा है एक गाड़ी, बिना इंजन की, सही समझे-छकड़ा



