फागु की भीर, अभीरिन में गहि गोंवदै लै गई भीतर गोरी। भाई करी मन की पद्माकर, ऊपर नाई अबीर की झोरी छीनि पितंबर कम्मर तें सु बिदा दई मीड़ि कपोलन रोरी। नैन नचाय कही मुसुकाय, 'लला फिर आइयो खेलन होरी
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जिहि फन फुत्कार उड़त पहाड़ भार – भूषण
जिहि फन फुत्कार उड़त पहाड़ भार, कूरम कठिन जनु कमल बिदगिलो.
गरुड़ को दावा – भूषण
गरुड़ को दावा जैसे नाग के समूह पर दावा नाग जूह पर सिंह सिरताज को


