ऐ मौत उन्हें भुलाए ज़माने गुज़र गए आ जा कि ज़हर खाए ज़माने गुज़र गए ओ जाने वाले! आ कि तेरे इंतज़ार में रस्ते को घर बनाए ज़माने गुज़र गए
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आँसूगदी से इश्क-ए-जवाँ – ख़ुमार बाराबंकवी
आँसूगदी से इश्क-ए-जवाँ को बचाइए कोई जो मान जाए तो खुद रूठ जाइए जश्न-ए-सूरूर बाए सनम पर मनाइए ये कुसूर है तो कुसूर का ईमान लाईए
दिल को तस्कीन-ए-यार ले डूबी – ख़ुमार बाराबंकवी
दिल को तस्कीन-ए-यार ले डूबी इस चमन को बहार ले डूबी
वो खफा है तो कोई बात नहीं – ख़ुमार बाराबंकवी
वो खफा है तो कोई बात नहीं इश्क मोहताज-ए-इल्त्फाक नहीं दिल बुझा हो अगर तो दिन भी है रात नहीं दिन हो रोशन तो रात रात नहीं
रुख़्सत-ए-शबाब – ख़ुमार बाराबंकवी
ऐसा नहीं कि हम से मुहब्ब्त नहीं रहीं, जस्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही सर में वो इंतज़ार का सौदा नहीं, रहा दिल पर वो धड़कनो की हुकूमत नहीं रहीं
क्या हुआ हुस्न है हमसफ़र या नहीं – ख़ुमार बाराबंकवी
क्या हुआ हुस्न है हमसफ़र या नहीं इश्क़ मंज़िल ही मंज़िल है रस्ता नहीं ग़म छुपाने से छुप जाए ऐसा नहीं बेख़बर तूने आईना देखा नहीं दो परिंदे उड़े आँख नम हो गई आज समझा के मैं तुझको भूला नहीं
झुंझलाए है लजाए है – ख़ुमार बाराबंकवी
झुंझलाए है लजाए है फिर मुस्कुराए है इसके दिमाग से उन्हे हम याद आए है अब जाके आह करने के आदाब आए है दुनिया समझ रही है कि हम मुस्कुराए है
न हारा है इश्क और न दुनिया थकी है – ख़ुमार बाराबंकवी
न हारा है इश्क और न दुनिया थकी है दिया जल रहा है हवा चल रही है सुकू ही सुकू है खुशी ही खुशी है तेरा गम सलामत मुझे क्या कमी है वो मौज़ूद है और उनकी कमी है मुहब्बत भी तहाई-ए-दायमी है
तेरे दर से उठकर जिधर जाऊं मैं – ख़ुमार बाराबंकवी
वो जो आए हयात याद आई भूली बिसरी सी बात याद आई कि हाल-ए-दिल उनसे कहके जब लौटे उनसे कहने की बात याद आई
सुना है वो हमें भुलाने लगे है – ख़ुमार बाराबंकवी
सुना है वो हमें भुलाने लगे है तो क्या हम उन्हे याद आने लगे है हटाए थे जो राह से दोस्तो की तो पत्थर मेरे घर में आने लगे है

