खुद को आसान कर रही हो ना – कुमार विश्वास

खुद को आसान कर रही हो ना हम पे एहसान कर रही हो ना ज़िन्दगी हसरतों की मय्यत है फिर भी अरमान कर रही हो ना

उनकी ख़ैरो-ख़बर नहीं मिलती – कुमार विश्वास

उनकी ख़ैरो-ख़बर नहीं मिलती हमको ही ख़ासकर नहीं मिलती शायरी को नज़र नहीं मिलती मुझको तू ही अगर नहीं मिलती

कुछ छोटे सपनो के बदले – कुमार विश्वास

कुछ छोटे सपनो के बदले, बड़ी नींद का सौदा करने, निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे ! वही प्यास के अनगढ़ मोती, वही धूप की सुर्ख कहानी, वही आंख में घुटकर मरती, आंसू की खुद्दार जवानी, हर मोहरे की मूक विवशता,चौसर के खाने क्या जाने हार जीत तय करती है वे, आज कौन से घर ठहरेंगे  निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे ! कुछ पलकों में बंद चांदनी,