कवि परिचय
जावेद अख़्तर का नाम देश का बहुत ही जाना-पहचाना नाम हैं। जावेद अख्तर शायर, फिल्मों के गीतकार और पटकथा लेखक तो हैं ही, सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में भी एक प्रसिद्ध हस्ती हैं। इनका जन्म 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में हुआ था। वह एक ऐसे परिवार के सदस्य हैं जिसके ज़िक्र के बिना उर्दु साहित्य का इतिहास अधुरा रह जायगा। शायरी तो पीढियों से उनके खून में दौड़ रही है।
पिता जान निसार अखतर प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि और माता सफिया अखतर मशहूर उर्दु लेखिका तथा शिक्षिका थीं। ज़ावेदजी प्रगतिशील आंदोलन के एक और सितारे लोकप्रिय कवि मजाज़ के भांजे भी हैं। अपने दौर के प्रसिद्ध शायर मुज़्तर ख़ैराबादी जावेद जी के दादा थे। पर इतना सब होने के बावजूद जावेद का बचपन विस्थापितों सा बीता. छोटी उम्र में ही माँ का आंचल सर से उठ गया और लखनऊ में कुछ समय अपने नाना नानी के घर बिताने के बाद उन्हें अलीगढ अपने खाला के घर भेज दिया गया जहाँ के स्कूल में उनकी शुरूआती पढाई हुई। वालिद ने दूसरी शादी कर ली और कुछ दिन भोपाल में अपनी सौतेली माँ के घर रहने के बाद भोपाल शहर में उनका जीवन दोस्तों के भरोसे हो गया। यहीं कॉलेज की पढाई पूरी की और जिन्दगी के नए सबक भी सीखे।
रचना संग्रह
- लावा
- तरकश
जावेद अख़्तर जी की अन्य प्रसिध रचनायें
- मेरा आँगन मेरा पेड़ ( लावा )
- ज़बान ( लावा )
- कुछ शे’र (तरकश)
- चार क़तऐ (तरकश)
- मेरा आँगन, मेरा पेड़ (तरकश)
- बहाना ढूँढते रहते हैं (तरकश)
- बेघर (तरकश)
- वो ढल रहा है (तरकश)
- ए माँ टेरेसा (तरकश)
- दोराहा (तरकश)
- दुश्वारी (तरकश)
- मुझको यक़ीं है सच कहती थीं (तरकश)
- हम तो बचपन में भी अकेले थे (तरकश)
- सच ये है बेकार हमें ग़म होता है (तरकश)
- शहर के दुकाँदारो (तरकश)
- ये तसल्ली है कि हैं नाशाद सब (तरकश)
- दर्द के फूल भी खिलते हैं (तरकश)
- दिल में महक रहे हैं (तरकश)
- दुख के जंगल में फिरते हैं (तरकश)
- हमारे शौक़ की ये इन्तहा थी (तरकश)
- मैं और मिरी आवारगी (तरकश)
- उलझन (तरकश)
- जहनुमी (तरकश)
- बीमार की रात (तरकश)
- मै पा सका न कभी (तरकश)
- सुबह की गोरी (तरकश)
- मेरी दुआ है (तरकश)
- हिज्र (तरकश)
- मुअम्मा (तरकश)
- आसार-ए-कदीमा (तरकश)
- ग़म बिकते है (तरकश)
- मेरे दिल में उतर गया (तरकश)
- ग़म होते है (तरकश)
- हमसे दिलचस्प कभी (तरकश)
- ख़्वाब के गाँव में (तरकश)
- फीका चाँद (तरकश)
- कुछ शेर ( लावा )
- कुछ शेर-1 ( लावा )
- कुछ क़तऐ ( लावा )