वफ़ा को आज़माना चाहिए था – राहत इंदौरी 

वफ़ा को आज़माना चाहिए था, हमारा दिल दुखाना चाहिए था
आना न आना मेरी मर्ज़ी है, तुमको तो बुलाना चाहिए था

हमारी ख्वाहिश एक घर की थी, उसे सारा ज़माना चाहिए था
मेरी आँखें कहाँ नाम हुई थीं, समुन्दर को बहाना चाहिए था

जहाँ पर पंहुचना मैं चाहता हूँ, वहां पे पंहुच जाना चाहिए था
हमारा ज़ख्म पुराना बहुत है, चरागर भी पुराना चाहिए था

मुझसे पहले वो किसी और की थी, मगर कुछ शायराना चाहिए था
चलो माना ये छोटी बात है, पर तुम्हें सब कुछ बताना चाहिए था

तेरा भी शहर में कोई नहीं था, मुझे भी एक ठिकाना चाहिए था
कि किस को किस तरह से भूलते हैं, तुम्हें मुझको सिखाना चाहिए था

ऐसा लगता है लहू में हमको, कलम को भी डुबाना चाहिए था
अब मेरे साथ रह के तंज़ ना कर, तुझे जाना था जाना चाहिए था

क्या बस मैंने ही की है बेवफाई,जो भी सच है बताना चाहिए था
मेरी बर्बादी पे वो चाहता है, मुझे भी मुस्कुराना चाहिए था

बस एक तू ही मेरे साथ में है, तुझे भी रूठ जाना चाहिए था
हमारे पास जो ये फन है मियां, हमें इस से कमाना चाहिए था

अब ये ताज किस काम का है, हमें सर को बचाना चाहिए था
उसी को याद रखा उम्र भर कि, जिसको भूल जाना चाहिए था

मुझसे बात भी करनी थी, उसको गले से भी लगाना चाहिए था
उसने प्यार से बुलाया था, हमें मर के भी आना चाहिए था

                        – राहत इंदौरी

काव्यशाला द्वारा प्रकाशित रचनाएँ 

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  • सारी बस्ती कदमों मे है ये भी इक फनकारी है

  • शहरों शहरों गाँव का आँगन याद आया

  • अपने होने का हम इस तरह पता देते थे

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  • तू शब्दों का दास रे जोगी

  • तेरी हर बात मोहब्बत मेँ गवारा करके

  • काली रातों को भी रंगीन कहा है मैंने

  • झूठी बुलंदियों का धुँआ पार करके आ

  • धोखा मुझे दिये पे हुआ आफ़ताब का

  • अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ

  • एक दिन देखकर उदास बहुत

  • हरेक चहरे को ज़ख़्मों का आइना न कहो

  • ये ज़िन्दगी सवाल थी जवाब माँगने लगे

  • गुलाब ख़्वाब दवा ज़हर जाम क्या क्या है

  • तेरे वादे की तेरे प्यार की मोहताज नहीं

  • किसका नारा, कैसा कौल, अल्लाह बोल

  • मौका है इस बार, रोज़ मना त्यौहार, अल्लाह बादशाह

  • बढ़ गयी है के घट गयी दुनिया

  • कुछ अशआर

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