मैं सदा बरसने वाला मेघ बनूँ – रमानाथ अवस्थी

मैं सदा बरसने वाला मेघ बनूँ
तुम कभी न बुझने वाली प्यास बनो ।

संभव है बिना बुलाए तुम तक आऊँ
हो सकता है कुछ कहे बिना फिर जाऊँ
यों तो मैं सबको बहला ही लेता हूँ
लेकिन अपना परिचय कम ही देता हूँ ।

मैं बनूँ तुम्हारे मन की सुन्दरता
तुम कभी न थकने वाली साँस बनो।

तुम मुझे उठाओ अगर कहीं गिर जाऊँ
कुछ कहो न जब मैं गीतों से घिर जाऊँ
तुम मुझे जगह दो नयनों में या मन में
पर जैसे भी हो पास रहो जीवन में ।

मैं अमृत बाँटने वाला मेघ बनूँ
तुम मुझे उठाने को आकाश बनो।

हो जहाँ स्वरों का अंत वहाँ मैं गाऊँ
हो जहाँ प्यार ही प्यार वहाँ बस जाऊँ
मैं खिलूँ वहाँ पर जहाँ मरण मुरझाए
मैं चलूँ वहाँ पर जहाँ जगत रुक जाए ।

मैं जग में जीने का सामान बनूँ
तुम जीने वालों का इतिहास बनो ।

                                          –  रमानाथ अवस्थी

रमानाथ अवस्थी जी की अन्य प्रसिध रचनाएँ

  • बजी कहीं शहनाई सारी रात
  • करूँ क्या
  • वे दिन (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • उस समय भी (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • बुलावा (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • ऐसी तो कोई बात नहीं (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • सौ बातों की एक बात है (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • हम-तुम (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • मेरी रचना के अर्थ (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • मन चाहिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • सदा बरसने वाला मेघ (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • मेरे पंख कट गए हैं (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • सो न सका (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • लाचारी (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • अंधेरे का सफ़र (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • याद बन-बनकर गगन पर (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • असम्भव (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • इन्सान (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • कभी कभी (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • चंदन गंध (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • चुप रहिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • मन (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • रात की बात (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • जाना है दूर (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • जिसे कुछ नहीं चाहिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • वह आग न जलने देना (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • याद तुम्हारी आई सारी रात (शीघ्र प्रकाशित होगी)
  • वह एक दर्पण चाहिए (शीघ्र प्रकाशित होगी)

 

हिंदी ई-बुक्स (Hindi eBooks)static_728x90

 

Leave a comment