जागो प्यारे – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

उठो लाल, अब आँखें खोलो, पानी लाई हूँ, मुँह धो लो। बीती रात, कमल-दल फूले, उनके ऊपर भौंरे झूले।

एक बूँद – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

ज्यों निकल कर बादलों की गोद से थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी सोचने फिर-फिर यही जी में लगी, आह! क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी?