पहचान में तेरे प्रिये – बिकाश पाण्डेय

तुम सदा वे ही रहे जो पास मेरे ना रहा, कभी यादों की हुक तो, कभी अनछुआ सपना रहा | कैसे कहूं की विह्वल हूँ आज फिर किस के लिए ? ये जन्म भी कट जाएगा पहचान में तेरे प्रिये..

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