मौत से ठन गई – अटल बिहारी वाजपेयी

ठन गई!  मौत से ठन गई!  जूझने का मेरा इरादा न था,  मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,  रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,  यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई। 

जीवन की ढलने लगी सांझ – अटल बिहारी वाजपेयी

जीवन की ढलने लगी सांझ उमर घट गई डगर कट गई जीवन की ढलने लगी सांझ।

न मैं चुप हूँ न गाता हूँ  – अटल बिहारी वाजपेयी

न मैं चुप हूँ न गाता हूँ  सवेरा है मगर पूरब दिशा में  घिर रहे बादल  रूई से धुंधलके में  मील के पत्थर पड़े घायल  ठिठके पाँव  ओझल गाँव 

पड़ोसी से – अटल बिहारी वाजपेयी

एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतन्त्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा। अगणित बलिदानो से अर्जित यह स्वतन्त्रता, अश्रु स्वेद शोणित से सिंचित यह स्वतन्त्रता। त्याग तेज तपबल से रक्षित यह स्वतन्त्रता, दु:खी मनुजता के हित अर्पित यह स्वतन्त्रता।

अंतरद्वंद्व – अटल बिहारी वाजपेयी

क्या सच है, क्या शिव, क्या सुंदर? शव का अर्चन, शिव का वर्जन, कहूँ विसंगति या रूपांतर?

पुनः चमकेगा दिनकर – अटल बिहारी वाजपेयी

आज़ादी का दिन मना, नई ग़ुलामी बीच; सूखी धरती, सूना अंबर, मन-आंगन में कीच; मन-आंगम में कीच,

मनाली मत जइयो – अटल बिहारी वाजपेयी

मनाली मत जइयो, गोरी राजा के राज में। जइयो तो जइयो, उड़िके मत जइयो, अधर में लटकीहौ, वायुदूत के जहाज़ में।

कौरव कौन, कौन पांडव – अटल बिहारी वाजपेयी

कौरव कौन कौन पांडव, टेढ़ा सवाल है| दोनों ओर शकुनि का फैला कूटजाल है|

हरी हरी दूब पर – अटल बिहारी वाजपेयी

हरी हरी दूब पर ओस की बूंदे अभी थी, अभी नहीं हैं| ऐसी खुशियाँ जो हमेशा हमारा साथ दें कभी नहीं थी, कहीं नहीं हैं|

दूध में दरार पड़ गई – अटल बिहारी वाजपेयी

ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया? भेद में अभेद खो गया। बँट गये शहीद, गीत कट गए, कलेजे में कटार दड़ गई। दूध में दरार पड़ गई।