दर्द अपनाता है पराए कौन कौन सुनता है और सुनाए कौन कौन दोहराए वो पुरानी बात ग़म अभी सोया है जगाए कौन
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सावरे मोकु रंगमें बोरी बोरी – सूरदास
सावरे मोकु रंगमें बोरी बोरी सांवरे मोकुं रंगमें बोरी बोरी बहीयां पकर कर शीरकी गागरिया । छिन गागर ढोरी । रंगमें रस बस मोकूं किनी । डारी गुलालनकी झोरी । गावत लागे मुखसे होरी आयो अचानक मिले मंदिरमें । देखत नवल किशोरी । धरी भूजा मोकुं पकरी जीवनने बलजोरे । माला मोतियनकी तोरी तब मोरे जोर कछु न चालो । बात कठीन सुनाई
प्राप्ति – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”
तुम्हें खोजता था मैं, पा नहीं सका, हवा बन बहीं तुम, जब मैं थका, रुका ।
व्याल-विजय – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
झूमें झर चरण के नीचे मैं उमंग में गाऊँ. तान, तान, फण व्याल! कि तुझ पर मैं बाँसुरी बजाऊँ। यह बाँसुरी बजी माया के मुकुलित आकुंचन में, यह बाँसुरी बजी अविनाशी के संदेह गहन में अस्तित्वों के अनस्तित्व में,महाशांति के तल में, यह बाँसुरी बजी शून्यासन की समाधि निश्चल में।
मुन्ना-मुन्नी – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
मुन्ना-मुन्नी ओढ़े चुन्नी, गुड़िया खूब सजाई किस गुड्डे के साथ हुई तय इसी आज सगाई मुन्ना-मुन्नी ओढ़े चुन्नी, कौन खुशी की बात है, आज तुम्हारी गुड़िया प्यारी की क्या चढ़ी बरात है!
साँझ हुई परदेस में – विकाश कुमार
साँझ हुई परदेस में दिल देश में डूब गया अब इस भागदौड़ से जी अपना ऊब गया वरदान मिलने की चाह नहीं मेहनत का फ़ल ही मिल जाता किसको को क्या मिला यहाँ हिसाब में वक़्त ख़ूब गया
दर्द अपनाता है पराए कौन – जावेद अख़्तर
दर्द अपनाता है पराए कौन कौन सुनता है और सुनाए कौन कौन दोहराए वो पुरानी बात ग़म अभी सोया है जगाए कौन
दरसन बिना तरसत मोरी अखियां – सूरदास
दरसन बिना तरसत मोरी अखियां तुमी पिया मोही छांड सीधारे फरकन लागी छतिया बस्ति छाड उज्जड किनी व्याकुल भई सब सखियां सूरदास कहे प्रभु तुमारे मिलनकूं ज्युजलंती मुख बतिया
चुम्बन – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”
लहर रही शशिकिरण चूम निर्मल यमुनाजल, चूम सरित की सलिल राशि खिल रहे कुमुद दल कुमुदों के स्मिति-मन्द खुले वे अधर चूम कर, बही वायु स्वछन्द, सकल पथ घूम घूम कर
अवकाश वाली सभ्यता – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
मैं रात के अँधेरे में सिताओं की ओर देखता हूँ जिन की रोशनी भविष्य की ओर जाती है अनागत से मुझे यह खबर आती है की चाहे लाख बदल जाये मगर भारत भारत रहेगा जो ज्योति दुनिया में बुझी जा रही है वह भारत के दाहिने करतल पर जलेगी यंत्रों से थकी हुयी धरती उस रोशनी में चलेगी