जौहर : स्वप्न – श्याम नारायण पांडेय

आन पर जो मौत से मैदान लें, गोलियों के लक्ष्य पर उर तान लें। वीरसू चित्तौड़ गढ़ के वक्ष पर जुट गए वे शत्रु के जो प्राण लें॥

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जौहर : दरबार – श्याम नारायण पांडेय

अंधकार था घोर धरा पर अभय घूमते चोर धरा पर। चित्रित पंख मिला पंखों से सोए वन के मोर धरा पर॥

जौहर : आखेट – श्याम नारायण पांडेय

दोपहरी थी, ताप बढ़ा था, पूर्वजन्म का पाप बढ़ा था। जल – थल – नभ के शिर पर मानो, दुर्वासा का शाप चढ़ा था॥

जौहर : उन्माद – श्याम नारायण पांडेय

शीशमहल की दीवालों पर शोभित नंगी तसवीरें। चित्रकार ने लिखीं बेगमों  की बहुरंगी तस्वीरें॥

जौहर : युद्ध – श्याम नारायण पांडेय

निशि चली जा रही थी काली प्राची में फैली थी लाली। विहगों के कलरव करने से, थी गूँज रही डाली डाली॥

जौहर : मंगलाचरन – श्याम नारायण पांडेय

शब्द में है अर्थ बनकर, अर्थ में है शब्द बनकर। जा रहे युग - कल्प उनमें, जा रहा है अब्द बनकर वहीं जा रहा पूजा करने , लेने सतियों की पग धूल, वहीँ हमारा दीप जलेगा , वहीँ चढ़ेगा माला फूल ||

जौहर : परिचय – श्याम नारायण पांडेय

जहां आन पर माँ बहनों ने , जौहर व्रत करना सीखा , स्वतंत्रता के लिए देश हित बच्चों ने मरना सीखा | वहीं जा रहा पूजा करने , लेने सतियों की पग धूल, वहीँ हमारा दीप जलेगा , वहीँ चढ़ेगा माला फूल ||