the last letter – कुमार शान्तनु

आज कल दुनिया में कुछ ऐसा उठ रहा है तूफ़ान, की बात बात पर "हक़" मांग बैठता है हर इंसान।

मैं और मेरी कॉफ़ी (कहानी) – कुमार शान्तनु

लव बींस (love beans) तनहा सा रहता था मैं इस तनहा शहर में, कभी खुद से छिपता , कभी खुद से मिलता था। अक्सर देर से सोता था , देर से उठता था। न जाने कितने बरस हो गए थे मुझ जैसे आलसी को सुबह सवेरे की दुनिया देखे सुने । आज बैठा हूँ हाथ में कॉफ़ी (coffee-) का … Continue reading मैं और मेरी कॉफ़ी (कहानी) – कुमार शान्तनु

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