हर युग को अपना ‘राम’ चाहिए – अनिल कुमार सिंह

हर युग को अपना 'राम' चाहिए - अनिल कुमार सिंह

काव्य की संरचना – विकाश कुमार

कविता और विचार के अन्त: सम्बन्धों पर चर्चा करते हुए अक्सर इस बात की अनदेखी की जाती रही है कि कविता किसी विचार की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति अथवा स्थिति का संवेदनात्मक वर्णन नहीं बल्कि अपने में एक चिन्तन-विधि है

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