वो पल आँसू दे जाते हैं हम कई यादे छोड़ जाते हैं कई अधूरी बातें छोड़ जाते हैं ।।।।। जो न हुयी, शायद न होनी थी, वो मुलाकातें छोड़ जाते हैं।
Category: सोमिल जैन “सोमू’
सोमिल जैन “सोमू’ जी का मानना है की अभी तक उन्होंने ऐसा कोई तीर नहीं मारा है जो वो आपको अपना परिचय दे सकें परंतु काव्यशाला नव कवि मंडली से जुड़ने की उत्सुकता ने उन्हें अपना परिचय लिखने पर विवश कर दिया। वह दलपतपुर, सागर मध्यप्रदेश के निवासी है द्वितीय वर्ष (कला) के विद्यार्थी हैं। उन्हें आजकल किताबों से प्रेम हो गया है और यही कारण है की उनकी रुचि लेखन में भी हो गयी है। वह कविता, गजल, नगमे और शायरी लिखने का शौक एवं जुनून रखते हैं। हम इसी जुनून को आप तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। हमें आशा है की आपको उनकी ये रचना पसंद आएगी।
इस वतन के वास्ते – सोमिल जैन ‘सोमू’
जर जमीन एक करदी,इस वतन के वास्ते। खून से कस्तियाँ लिख दी,इस वतन के वास्ते। हँसते हँसते सूली चढ़ गये, इस वतन के वास्ते।
तेरी मेरी बातें – सोमिल जैन ‘सोमू’
तेरी मेरी बातें... चलो कुछ बात करते हैं चुप्पी को तोड़ते हैं दरमिया तेरे मेरे दिल की बातो को टटोलते हैं मोसम तो खुशनुमा है मगर ये सन्नाटा क्यों है तेरे मेरे बीच में कम्बक्त ये आता क्यों है चलो इस सन्नाटे को खोल लेते है चलो कुछ बोल लेते हैं।
मेरी कहानी – सोमिल जैन ‘सोमू’
पूछता हूँ ये समां से,पूछता हूँ ये अमां से। यदि फुर्सत हो तुम्हें तो,पूछता हूँ ये जमां से। क्या यही मेरी कहानी क्यों सजा आँखों में पानी... मैं भी था एक सुखी मानुष,थोड़ा चंचल बहुत ख्वाहिश। मिले सब संयोग मुझको,मगर ये क्या हुआ तुझको। एक दिन सब टूट बिखरा,अंधकारी सूर्य उखरा। छोड़ कर चल दिए मुझको ,सम्हालेगा कौन मुझको। आज हारा हूँ कभी में,जो न होता खेल खेला। पूछता हूँ हाथ मेरा,छोड़ क्यों छोड़ा अकेला। ले ली सबने साँस ठण्डी,भूलकर जलती कहानी। आग है उर में मेरे,क्यों सजा आँखों में पानी।
एक नन्हा दीपक – सोमिल जैन ‘सोमू’
इन काली काली रातों में,एक नन्हा दीपक जलता है। मगर अफ़सोस वो बेजुबाँ,क्यों बिखरा बिखरा रहता है,क्यों उखड़ा उखड़ा रहता है। इन गम के तुफानो में,कंही महफूज पलता है। सांसे न रुक जाएँ कभी,लहरों से बचकर छिपता है,लहरों से बचकर जलता है। इन काली काली..........