कवि परिचय
सुमित्रानंदन पंत (10 मई 1900 – 28 दिसम्बर 1977) हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और रामकुमार वर्मा जैसे कवियों का युग कहा जाता है। उनका जन्म बागेश्वर में हुआ था। झरना, बर्फ, पुष्प, लता, भंवरा गुंजन, उषा किरण, शीतल पवन, तारों की चुनरी ओढ़े गगन से उतरती संध्या ये सब तो सहज रूप से काव्य का उपादान बने। निसर्ग के उपादानों का प्रतीक व बिम्ब के रूप में प्रयोग उनके काव्य की विशेषता रही। उनका व्यक्तित्व भी आकर्षण का केंद्र बिंदु था, गौर वर्ण, सुंदर सौम्य मुखाकृति, लंबे घुंघराले बाल, उंची नाजुक कवि का प्रतीक समा शारीरिक सौष्ठव उन्हें सभी से अलग मुखरित करता था।
1918 के आसपास तक वे हिंदी के नवीन धारा के प्रवर्तक कवि के रूप में पहचाने जाने लगे थे। इस दौर की उनकी कविताएं वीणा में संकलित हैं। 1926-27 में उनका प्रसिद्ध काव्य संकलन ‘पल्लव’ प्रकाशित हुआ। कुछ समय पश्चात वे अपने भाई देवीदत्त के साथ अल्मोडा आ गये। इसी दौरान वे मार्क्स व फ्रायड की विचारधारा के प्रभाव में आये। 1938 में उन्होंने एक प्रगतिशील मासिक पत्र निकाला। शमशेर, रघुपति सहाय आदि के साथ वे प्रगतिशील लेखक संघ से भी जुडे रहे। वे 1955 से 1962 तक आकाशवाणी से जुडे रहे और मुख्य-निर्माता के पद पर कार्य किया। उनकी विचारधारा योगी अरविन्द से प्रभावित भी हुई जो बाद की उनकी रचनाओं में देखी जा सकती है। “वीणा” तथा “पल्लव” में संकलित उनके छोटे गीत विराट व्यापक सौंदर्य तथा पवित्रता से साक्षात्कार कराते हैं। “युगांत” की रचनाओं के लेखन तक वे प्रगतिशील विचारधारा से जुडे प्रतीत होते हैं। “युगांत” से “ग्राम्या” तक उनकी काव्ययात्रा प्रगतिवाद के निश्चित व प्रखरस्वरोंकी उदघोषणा करती है। उनकी साहित्यिक यात्रा के तीन प्रमुख पडाव हैं – प्रथम में वे छायावादी हैं, दूसरे में समाजवादी आदर्शों से प्रेरित प्रगतिवादी तथा तीसरे में अरविन्द दर्शन से प्रभावित अध्यात्मवादी। 1907 से 1918 के काल को स्वयं उन्होंने अपने कवि-जीवन का प्रथम चरण माना है। इस काल की कविताएँ वीणा में संकलित हैं। सन् 1922 में उच्छवास और 1928 में पल्लव का प्रकाशन हुआ। सुमित्रानंदन पंत की कुछ अन्य काव्य कृतियाँ हैं – ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा, सत्यकाम आदि। उनके जीवनकाल में उनकी 28 पुस्तकें प्रकाशित हुईं, जिनमें कविताएं, पद्य-नाटक और निबंध शामिल हैं। पंत अपने विस्तृत वाङमय में एक विचारक, दार्शनिक और मानवतावादी के रूप में सामने आते हैं किंतु उनकी सबसे कलात्मक कविताएं ‘पल्लव’ में संकलित हैं, जो 1918 से 1925 तक लिखी गई 32 कविताओं का संग्रह है।
काव्यशाला द्वारा प्रकाशित सुमित्रानंदन पंत जी की रचनाएँ
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पल्लव
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वसंत श्री
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मोह
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विनय
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झर पड़ता जीवन डाली से
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याचना
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मौन-निमन्त्रण
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परिवर्तन
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प्रथम रश्मि
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अनुभूति
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अमर स्पर्श
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यह धरती कितना देती है
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मछुए का गीत
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श्री सूर्यकांत त्रिपाठी के प्रति
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प्रार्थना
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सांध्य वंदना
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लहरों का गीत
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घंटा
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वायु के प्रति
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याद
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गंगा
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विजय
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चींटी
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खोलो, मुख से घूँघट (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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द्वाभा के एकाकी प्रेमी (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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सन्ध्या (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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तितली (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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ताज (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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मानव (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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बापू के प्रति (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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महात्मा जी के प्रति (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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अँधियाली घाटी में (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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मिट्टी का गहरा अंधकार (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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ग्राम श्री (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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छोड़ द्रुमों की मृदु छाया (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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काले बादल (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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पर्वत प्रदेश में पावस (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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वसंत (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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संध्या के बाद (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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जग जीवन में जो चिर महान (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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भारतमाता ग्रामवासिनी (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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पन्द्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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नौका-विहार (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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गृहकाज (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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चांदनी (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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तप रे! (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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ताज (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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द्रुत झरो (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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दो लड़के (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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धेनुएँ (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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नहान (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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चमारों का नाच (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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कहारों का रुद्र नृत्य (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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चरख़ा गीत (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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राष्ट्र गान (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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ग्राम देवता (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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खिड़की से (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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रेखा चित्र (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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दिवा स्वप्न (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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सौन्दर्य कला (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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स्वीट पी के प्रति (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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कला के प्रति (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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स्त्री (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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आधुनिका (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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मज़दूरनी के प्रति (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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नारी (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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द्वन्द्व प्रणय (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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१९४० (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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सूत्रधार (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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संस्कृति का प्रश्न (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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सांस्कृतिक हृदय (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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भारत ग्राम (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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स्वप्न और सत्य (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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बापू (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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अहिंसा (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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पतझर (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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उद्बोधन (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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नव इंद्रिय (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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कवि किसान (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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वाणी (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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आँगन से (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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याद (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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गुलदावदी (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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आत्मा का चिर-धन (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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आजाद (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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मैं सबसे छोटी होऊँ (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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वे आँखें (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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बाँध दिए क्यों प्राण (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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पाषाण खंड (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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जीना अपने ही में (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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बाल प्रश्न (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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फैली खेतों में दूर तलक मखमल की कोमल हरियाली (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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वह जीवन का बूढ़ा पंजर (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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धरती का आँगन इठलाता (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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आओ, हम अपना मन टोवें (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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बापू (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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जय जन भारत जन मन अभिमत (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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सोनजुही (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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धूप का टुकड़ा (शीघ्र प्रकाशित होगी)
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जीवन-यान (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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नक्षत्र (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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बादल (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
सुमित्रानंदन पंत जी की प्रसिद्ध रचनाएँ
सुमित्रानंदन पंत जी पर लिखी की रचनाएँ
सुमित्रानंदन पंत के काव्य में युगबोध और मानवतावाद |
सुमित्रानंदन पंत के साहित्य का विशेष अध्ययन |
सुमित्रानंदन पंत और सुंदरम का काव्य |