फ़ैज़ अहमद ‘फ़ैज़’

2u1KVX70कवि परिचय

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (فیض احمد فیض‎), (13 फ़रवरी 1911 – 20 नवम्बर 1984) भारतीय उपमहाद्वीप के एक विख्यात पंजाबी शायर थे जिनको अपनी क्रांतिकारी रचनाओं में रसिक भाव (इंक़लाबी और रूमानी) के मेल की वजह से जाना जाता है। सेना, जेल तथा निर्वासन में जीवन व्यतीत करने वाले फ़ैज़ ने कई नज़्म, ग़ज़ल लिखी तथा उर्दू शायरी में आधुनिक प्रगतिवादी (तरक्कीपसंद) दौर की रचनाओं को सबल किया। उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए भी मनोनीत किया गया था। फ़ैज़ पर कई बार कम्यूनिस्ट (साम्यवादी) होने और इस्लाम से इतर रहने के आरोप लगे थे पर उनकी रचनाओं में ग़ैर-इस्लामी रंग नहीं मिलते। जेल के दौरान लिखी गई उनकी कविता ‘ज़िन्दान-नामा’ को बहुत पसंद किया गया था। उनके द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियाँ अब भारत-पाकिस्तान की आम-भाषा का हिस्सा बन चुकी हैं, जैसे कि ‘और भी ग़म हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा’।

काव्यशाला द्वारा प्रकाशित रचनाएँ

  • कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया

  • चलो फिर से मुस्कुराएं

  • गुलों में रंग भरे

  • आपकी याद आती रही रात-भर

  • सब क़त्ल होके

  • शाख़ पर ख़ूने-गुल रवाँ है वही

  • तेरी सूरत

  • सितम सिखलायेगा रस्मे-वफा

  • सितम की रस्में

  • वफ़ाये वादा नहीं, वादये दिगर भी नहीं

  • शफ़क़ की राख में जल बुझ गया सितारये शाम

  • रक़ीब से

  • आज बाज़ार में पा-ब-जौला चलो

  • निसार मैं तेरी गलियों के अए वतन – फ़ैज़ अहमद ‘फ़ैज़’

  • ढाका से वापसी पर

  • तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं

  • ख़ुर्शीद-ए-महशर की लौ

  • अब वही हर्फ़-ए-जुनूँ सबकी ज़ुबाँ ठहरी है

  • अब कहाँ रस्म घर लुटाने की

  • रंग है दिल का – फ़ैज़ अहमद ‘फ़ैज़’

  • मुझ से पहली सी मोहब्बत मेरी महबूब न माँग

  • दिल के क़राइन

  • तेरे ग़म को जाँ की तलाश थी

  • बहार आई तो जैसे एक बार

  • वो अहदे-ग़म

  • यादे-ग़ज़ालचश्मां

  • ये जफ़ा-ए-ग़म का चारा

  • यूँ बहार आई

  • आज यूँ मौज-दर-मौज

  • क़र्ज़े-निगाहे-यार

  • रहे ख़िज़ां मे

  • हुस्न मरहूने-जोशे-बादा-ए-नाज़

  • इज्ज़े अहले-सितम

  • इश्क़ मिन्नतकशे-क़रार नहीं

  • कई बार इसका दामन

  • नज़्रे-ग़ालिब

  • गरानी-ए-शबे-हिज़्रां दुचंद क्या करते

  • फिर लौटा है ख़ुर्शेदे-जहांताब

  • नज़्रे सौदा

  • एक रहगुज़र पर

  • बात बस से निकल चली है

  • तुम न आये थे तो हर चीज़ वही थी के जो है

  • कब ठहरेगा दर्दे-दिल, कब रात बसर होगी

  • रंग पैराहन का, खुश्बू जुल्फ लहराने का नाम

  • आ कि वाबस्ता हैं उस हुस्न की यादें तुझ से

  • दर्द की रात ढल चली है

  • दोनो जहाँ तेरी मोहब्बत में हार के

  • बहुत मिला न मिला

  • तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार जब से है

  • कोई आशिक किसी महबूबा से

  • सुबहे आज़ादी

  • न आज लुत्फ़ कर इतना कि कल गुज़र न सके

  • बरस रही है हरीमे हविस में दौलते हुस्न

  • ये धूप किनारा शाम ढले

  • नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही

  • बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे

  • जब तेरी समन्दर आँखों में

  • दश्त-ए-तनहाई

  • राज़े-उल्फ़त छुपा के देख लिया

  • न गँवाओ नावक-ए-नीम-कश, दिल-ए-रेज़ रेज़ गँवा दिया

  • दुआ – आईये हाथ उठायें हम भी

  • ख़ुदा वो वक़्त न लाये

  • सुबह-ए-आज़ादी – ये दाग़ दाग़ उजाला

  • आये कुछ अब्र कुछ शराब आये

  • हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है

  • तनहाई

  • ईन्तेसाब – आज के नाम

  • सोच – क्यूँ मेरा दिल शाद नहीं है

  • तुम आये हो न शब-ए-इन्तज़ार गुज़री है

  • शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई

  • दिल-ए-मन मुसाफ़िर-ए-मन

  • कब याद में तेरा साथ नहीं

  • दिल में अब यूँ तेरे भूले हुये ग़म आते हैं

  • चश्म-ए-मयगूँ ज़रा इधर कर दे

  • कब तक दिल की ख़ैर मनायें

  • यूँ सजा चांद कि झलका तेरे अंदाज़ का रंग

  • गर्मी-ए-शौक़-ए-नज़्ज़ारा का असर तो देखो

  • कुछ पहले इन आँखों आगे क्या

  • मुझको शिकवा है मेरे भाई

  • कभी कभी याद में उभरते हैं

  • तुम जो पल को ठहर जाओ तो ये लम्हें भी

  • तुम मेरे पास रहो फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

  • कहीं तो कारवान-ए-दर्द की मंज़िल ठहर जाये

  • हम के ठहरे अजनबी इतने मदारातों के बाद

  • मेरे दर्द को जो ज़बाँ मिले

  • वो बुतों ने डाले हैं वस्वसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया

  • सच हैं हमीं को आप के शिकवे बजा न थे

  • नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं

  • सभी कुछ है तेरा दिया हुआ सभी राहतें सभी कलफ़तें

  • हम सादा ही ऐसे थे, की यूँ ही पज़ीराई

  • रौशन कहीं बहार के इम्काँ हुये तो हैं

  • ये किस ख़लिश ने फिर इस दिल में आशियाना किया

  • ख़्वाब-बसेरा – इस वक़्त तो यूँ लगता है

  • चंद रोज़ और मेरी जान फ़क़त

  • गो सब को बा-हम साग़र-ओ-बादा तो नहीं था

  • हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे

  • कुछ मुहतसिबों की ख़िलवत में कुछ

  • क्या करें – मेरी तेरी निगाह में

  • कुछ दिन से इन्तज़ार-ए-सवाल-ए-दिगर में है

  • चांद निकले किसी जानिब तेरी ज़ेबाई का

  • सुनने को भीड़ है सर-ए-महशर लगी हुई

  • हिम्मत-ए-इल्तिजा नहीं बाक़ी

  • नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही

  • हर हक़ीक़त मजाज़ हो जाये

  • शैख़ साहब से रस्म-ओ-राह न की

  • तुम क्या गये के रूठ गये दिन बहार के

  • आपसे दिल लगा के देख लिया

  • फिर हरीफ़े-बहार हो बैठे

  • तुझ को चाहा तो और चाह ना की

  • पाँवों से लहू को धो डालो

  • कभी हयात कभी मय हराम होती रही

  • अपने ज़िम्मे है तेरा क़र्ज़ ना जाने कब से

  • चांदनी दिल दुखाती रही रात भर

  • एक दकनी ग़ज़ल

  • आने वालों से कहो हम तो गुज़र जायेंगे

  • ये शहर उदास इतना ज़्यादा तो नहीं था

  • मेरे क़ातिल मेरे दिलदार

  • फिर कोई आया दिल-ए-ज़ार

  • हम देखेंगे

  • दोनों जहान तेरी मुहब्बत में हार के

  • बेदम हुए बीमार दवा क्यों नहीं देते

  • हमने सब शेर में सँवारे थे

  • हम जो नीम तारीक राहों में मारे गए

  • मेरे दिल ये तो फ़क़त एक घड़ी है

  • मेरी तेरी निगाह में जो लाख इंतज़ार हैं

  • मेरे दिल मेरे मुसाफ़िर

  • आइए हाथ उठाएँ हम भी

  • फ़िक्रे-दिलदारी-ए-गुलज़ार

  • मुलाक़ात

 

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लोकप्रिय शायर और उनकी शायरी

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पोयेम्स – फ़ैज़ अहमद ‘फ़ैज़’

सेलब्रेटिंग फ़ैज़ – डी पी त्रिपाठी

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Faiz Ahmed Faiz, A Renowned Urdu Poet

Poetry, Protest and Politics

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Socialist Soofi Faiz Ahmed Faiz (Telegu)

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The Colours of My Heart – Faiz Ahmed Faiz

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