धूप सा तन दीप सी मैं!  – महादेवी वर्मा

उड़ रहा नित एक सौरभ-धूम-लेखा में बिखर तन,
खो रहा निज को अथक आलोक-सांसों में पिघल मन
अश्रु से गीला सृजन-पल,
औ’ विसर्जन पुलक-उज्ज्वल,
आ रही अविराम मिट मिट
स्वजन ओर समीप सी मैं!

सघन घन का चल तुरंगम चक्र झंझा के बनाये,
रश्मि विद्युत ले प्रलय-रथ पर भले तुम श्रान्त आये,
पंथ में मृदु स्वेद-कण चुन,
छांह से भर प्राण उन्मन,
तम-जलधि में नेह का मोती
रचूंगी सीप सी मैं!

धूप-सा तन दीप सी मैं!

महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा की अन्य प्रसिध रचनाए

 

हिंदी ई-बुक्स (Hindi eBooks)static_728x90

 

Advertisement

7 thoughts on “धूप सा तन दीप सी मैं!  – महादेवी वर्मा

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s