जब भी मुँह ढक लेता हूँ
तेरे जुल्फों के छाँव में
कितने गीत उतर आते है
मेरे मन के गाँव में
एक गीत पलकों पर लिखना
एक गीत होंठो पर लिखना
यानि सारी गीत हृदय की
मीठी-सी चोटों पर लिखना
जैसे चुभ जाता है कोई काँटा नँगे पाँव में
ऐसे गीत उतर आते हैं, मेरे मन के गाँव में
पलकें बंद हुई तो जैसे
धरती के उन्माद सो गये
पलकें अगर उठी तो जैसे
बिन बोले संवाद हो गये
जैसे धूप, चुनरिया ओढ़, आ बैठी हो छाँव में
ऐसे गीत उतर आते हैं, मेरे मन के गाँव में
– कुमार विश्वास
कुमार विश्वास जी की अन्य प्रसिध रचनाएँ
- उनकी ख़ैरो-ख़बर नहीं मिलती (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- कुछ छोटे सपनो के बदले
- खुद को आसान कर रही हो ना (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- जब भी मुँह ढक लेता हूँ (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- जाने कौन नगर ठहरेंगे (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- जिसकी धुन पर दुनिया नाचे (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- तुम्हारा फ़ोन आया है (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- दुःखी मत हो (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- देवदास मत होना (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- नेह के सन्दर्भ बौने हो गए (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- पवन ने कहा (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- प्यार जब जिस्म की चीखों में दफ़न हो जाये (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- प्रीतो! (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- फिर बसंत आना है (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- बाँसुरी चली आओ (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- बात करनी है, बात कौन करे (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- माँ (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- मेरे सपनों के भाग में (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- मैं तुम्हें ढूंढने स्वर्ग के द्वार तक (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- मैं तो झोंका हूँ (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- मौसम के गाँव (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- ये इतने लोग कहाँ जाते हैं सुबह-सुबह (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- रंग दुनिया ने दिखाया है (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- रूह जिस्म का ठौर ठिकाना चलता रहता है (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- विदा लाडो (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- सफ़ाई मत देना (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- साल मुबारक (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हें (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- हो काल गति से परे चिरंतन (शीघ्र प्रकाशित होगी)
- होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो (शीघ्र प्रकाशित होगी)
बहुत खूबसूरत अहसास
LikeLike
अपने ही नग्मों को गाकर दिल बहला लेती हूं
खुद को ही यादों का एक किस्सा सुना लेती हूं
हौंसले बुलंद हैं इतने किसी की परवाह नहीं करती
यारों की रंजिशें अब मुझको रुसवा नहीं करतीं
LikeLike