आज के दिन न पूछो मेरे दोस्तो
दूर कितने हैं ख़ुशियाँ मनाने के दिन
खुल के हँसने के दिन गीत गाने के दिन
प्यार करने के दिन दिल लगाने के दिन
आज के दिन न पूछो मेरे दोस्तो
ज़ख़्म कितने अभी बख़्त-ए-बिस्मिल [1] में हैं
दश्त[2] कितने अभी राह-ए-मंज़िल में हैं
तीर कितने अभी दस्त-ए-क़ातिल [3] में हैं
आज के दिन ज़ुबूँ है मेरे दोस्तो
आज के दिन तो यूँ है मेरे दोस्तो
जैसे दर्द-ओ-अलम के पुराने निशाँ
सब चले सू-ए-दिल कारवाँ कारवाँ
हाथ सीने पे रखो तो हर उस्तख़्वाँ[4]
से उठे नाला-ए-अल’अमाँ अल’अमाँ
आज के दिन न पूछो मेरे दोस्तो
कब तुम्हारे लहू के दरीदा अलम
फ़र्क़-ए-ख़ुर्शीद-ए-महशर[5] पे होंगे रक़म
अज़ कराँ ता कराँ[6] कब तुम्हारे क़दम
लेके उठेगा वो बहर-ए-ख़ूँ यम-ब-यम
जिस दिल में धुल जायेगा आज के दिन का ग़म
सारे दर्द-ओ-अलम सारे जौर-ए-सितम
दूर कितनी है ख़ुर्शीद-ए-महशर की लौ
आज के दिन न पूछो मेरे दोस्तो
- घायल की किस्मत
- धूल
- क़ातिल के हाथ
- हड्डी, अस्थि
- चाँद और जन्नत
- एक किनारे से दूसरे किनारे, यानि पूरी दुनिया
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मुझ से पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न माँग (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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रंग है दिल का मेरे (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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अब कहाँ रस्म घर लुटाने की (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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अब वही हर्फ़-ए-जुनूँ सबकी ज़ुबाँ ठहरी है (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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ढाका से वापसी पर (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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निसार मैं तेरी गलियों के अए वतन, कि जहाँ (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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रक़ीब से (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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तेरे ग़म को जाँ की तलाश थी तेरे जाँ-निसार चले गये (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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बहार आई (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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नौहा (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार जब से है (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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जब तेरी समन्दर आँखों में (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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आप की याद आती रही रात भर (मख़दूम* की याद में) (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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चश्मे-मयगूँ ज़रा इधर कर दे (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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चंद रोज़ और मेरी जान फ़क़त चंद ही रोज़ (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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ये शहर उदास इतना ज़ियादा तो नहीं था (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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गर्मी-ए-शौक़-ए-नज़्ज़ारा का असर तो देखो (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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गरानी-ए-शबे-हिज़्रां दुचंद क्या करते (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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मेरे दिल ये तो फ़क़त एक घड़ी है (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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ख़ुदा वो वक़्त न लाये कि सोगवार हो तू (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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मेरी तेरी निगाह में जो लाख इंतज़ार हैं (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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कोई आशिक़ किसी महबूब से (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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तुम आये हो न शबे-इन्तज़ार गुज़री है (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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तुम जो पल को ठहर जाओ तो ये लम्हें भी (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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तुम मेरे पास रहो (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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चाँद निकले किसी जानिब तेरी ज़ेबाई का (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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दश्ते-तन्हाई में ऐ जाने-जहाँ लरज़ा हैं (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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दिल में अब यूँ तेरे भूले हुए ग़म आते हैं (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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मेरे दिल मेरे मुसाफ़िर (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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आइये हाथ उठायें हम भी (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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बेदम हुए बीमार दवा क्यों नहीं देते (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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इन्तिसाब (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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सोचने दो (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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पास रहो (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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मौज़ू-ए-सुख़न (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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बोल (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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हम लोग (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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क्या करें (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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यह फ़स्ल उमीदों की हमदम (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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शीशों का मसीहा* कोई नहीं (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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सुबहे आज़ादी (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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ईरानी तुलबा के नाम (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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सरे वादिये सीना (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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फ़िलिस्तीनी बच्चे के लिए लोरी (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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तिपबं बवउम ठंबा (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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हम जो तारीक राहों में मारे गए (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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एक मन्जर (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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ज़िन्दां की एक शाम (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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ऐ रोशनियों के शहर (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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यहाँ से शहर को देखो * मन्ज़र (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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एक शहरे-आशोब* का आग़ाज़* (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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सरोद (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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वासोख़्त (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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मेरे दर्द को जो ज़बाँ मिले (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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हज़र करो मेरे तन से (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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दिले मन मुसाफ़िरे मन (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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जिस रोज़ क़ज़ा आएगी (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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ख़्वाब बसेरा (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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ख़त्म हुई बारिशे संग (शीघ्र प्रकाशित होंगी)
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