दुनिया का इतिहास पूछता – अटल बिहारी वाजपेयी

दुनिया का इतिहास पूछता,
रोम कहाँ, यूनान कहाँ?
घर-घर में शुभ अग्नि जलाता।
वह उन्नत ईरान कहाँ है?
दीप बुझे पश्चिमी गगन के,
व्याप्त हुआ बर्बर अंधियारा,
किन्तु चीर कर तम की छाती,
चमका हिन्दुस्तान हमारा।
शत-शत आघातों को सहकर,
जीवित हिन्दुस्तान हमारा।
जग के मस्तक पर रोली सा,
शोभित हिन्दुस्तान हमारा।

                         – अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी जी की अन्य प्रसिध रचनाएँ 

हिंदी ई-बुक्स (Hindi eBooks)static_728x90

 

Advertisement

12 thoughts on “दुनिया का इतिहास पूछता – अटल बिहारी वाजपेयी

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s