तेरी मेरी बातें…
चलो कुछ बात करते हैं चुप्पी को तोड़ते हैं
दरमिया तेरे मेरे दिल की बातो को टटोलते हैं
मोसम तो खुशनुमा है मगर ये सन्नाटा क्यों है
तेरे मेरे बीच में कम्बक्त ये आता क्यों है
चलो इस सन्नाटे को खोल लेते है
चलो कुछ बोल लेते हैं।
चलो हम ख्वाव बुनते है जो भी हो बेहिसाब बुनते है।
जंहा आलम हो फुर्सत का ऐसी हम राह चुनते हैं।
खता अल्फाज कर गये दूरियां दिल को मिली।
चलो अब भूलकर शिकवे गले एक बार मिलते हैं।
चलो कुछ…
– सोमिल जैन ‘सोमू’

सोमिल जैन “सोमू’ जी का मानना है की अभी तक उन्होंने ऐसा कोई तीर नहीं मारा है जो वो आपको अपना परिचय दे सकें परंतु काव्यशाला नव कवि मंडली से जुड़ने की उत्सुकता ने उन्हें अपना परिचय लिखने पर विवश कर दिया। वह दलपतपुर, सागर मध्यप्रदेश के निवासी है द्वितीय वर्ष (कला) के विद्यार्थी हैं। उन्हें आजकल किताबों से प्रेम हो गया है और यही कारण है की उनकी रुचि लेखन में भी हो गयी है। वह कविता, गजल, नगमे और शायरी लिखने का शौक एवं जुनून रखते हैं। हम इसी जुनून को आप तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। हमें आशा है की आपको उनकी ये रचना पसंद आएगी।
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तेरी मेरी बातें
धन्यवाद
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बेहतरीन है।
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