ईश्वर ने जब जिंदगी को बनाया होगा
एक ऑप्शन इरेज़र का भी लाया होगा।
पर लोग नासमझी कर बैठे हर बात पर भूल कर बैठें
होश में रहना छोड़ दिया , करने से पहले कुछ भी सोचना छोड़ दिया |
एक गाँठ बाँध ली इरेज़र हमारे पास है अब डरने की क्या बात है
गलती पर गलती होने लगी
सही काम की कीमत अब कम होने लगी |
ईश्वर ने इंसा को खूब समझाया ,
पर उसकी कुछ समझ न आया
तब ईश्वर ने नियम यह बनाया |
जिंदगी की किताब को ऐसी स्याही से लिखी जायेगी
लाख करो जतन ये मिट न पाएगी
हर कर्म की कीमत तय की जाएगी
तब ही इंसा को जिंदगी की अहमियत समझ आएगी |
एक बार जो पिरो दिया मोती जिंदगी की माला में
फिर वो मोती निकाली न जायेगी
वक़्त रहते पहन लेना ये माला
……. देर कर दी तो….
वक़्त की डोर इन मोतियों को बिखेर जायेगी |

इनका नाम प्रिया आर्य है परंतु उनका मानना है की कवितायें दीवानेपन में लिखी जाती हैं इसीलिए वह प्रिया दीवानी के नाम से लिखना पसंद करती हैं। वह यह भी कहती हैं की वह सिर्फ़ अहसासों को कागज पर उतारती हैं और स्वतः उनका उनका कोई योगदान नहीं होता । हमें आशा है की आपको उनकी यह अनोखी सोच पसंद आएगी ।
प्रिया आर्य “दीवानी” द्वारा लिखी अन्य रचनाएँ
-
चीज़ों की क़ीमत
- इरेज़र
Hi very nice poem
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वाह वाह
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