मौन – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

बैठ लें कुछ देर,
आओ,एक पथ के पथिक-से
प्रिय, अंत और अनन्त के,
तम-गहन-जीवन घेर।
मौन मधु हो जाए
भाषा मूकता की आड़ में,
मन सरलता की बाढ़ में,
जल-बिन्दु सा बह जाए।
सरल अति स्वच्छ्न्द
जीवन, प्रात के लघुपात से,
उत्थान-पतनाघात से
रह जाए चुप,निर्द्वन्द ।

–  सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’

 सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” जी की अन्य प्रसिध रचनाएँ

 

 

static_728x90

Advertisement

2 thoughts on “मौन – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s