मधुकर ! तब तुम गुंजन करना –  ज्ञान प्रकाश सिंह

भँवरा ! ये दिन कठिन हैं  पर फिर वसंत ऋतु आएगी,
नवकुसुम खिलेंगे उपवन में, नवगीत कोकिला गाएगी।

किसलय लता उमंगित होगी, कानन होगा मोहक हर्षित,
भू अंचल पट लहराएगा , पवन सुवासित  मंद प्रवाहित।

डाली डाली मुकुलित होगी , मकरंद युक्त सरसिज होंगे
मादक आकर्षक मधु स्वरुप, उद्यान पुष्प सुरभित होंगे।

ऋतुराज आगमन का संदेश, जब सुमन बाटिका लाएगी
मधुकर ! तब तुम गुंजन करना, चिरअभिलाषा पूरी होगी।

– ज्ञान प्रकाश सिंह

 यह कविता लेखक श्री ज्ञान प्रकाश सिंह की पुस्तक ‘स्पर्श” से ली गयी है । पूरी पुस्तक ख़रीदने हेतु निकटतम पुस्तक भंडार जायें । भारती  प्रकाशन  मूल्य रु 200 /-

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