बेखुदी ले गयी – मीर तकी “मीर”

बेखुदी ले गयी कहाँ हम को
देर से इंतज़ार है अपना

रोते फिरते हैं सारी-सारी रात
अब यही रोज़गार है अपना

दे के दिल हम जो हो गए मजबूर
इस में क्या इख्तियार है अपना

कुछ नही हम मिसाले-अनका लेक
शहर-शहर इश्तेहार है अपना

जिस को तुम आसमान कहते हो
सो दिलों का गुबार है अपना

मीर तकी “मीर”

मीर तकी “मीर” की अन्य प्रसिध रचनायें

हिंदी ई-बुक्स (Hindi eBooks)static_728x90

 

Advertisement

8 thoughts on “बेखुदी ले गयी – मीर तकी “मीर”

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s